झारखंड, बिहार, ओडिशा व बंगाल के 10वीं पास ज्यादातर युवाओं का सपना होता है कि वे ट्रेड अप्रेंटिस की परीक्षा पास कर टाटा स्टील में नौकरी करें। लेकिन अब उनका यह सपना पूरा नहीं हो पाएगा। अब उन्हें नौकरी तो मिलेगी लेकिन टाटा स्टील में नहीं, बल्कि उसकी नई सहायक कंपनियों में।
दरअसल, टाटा स्टील इंट्री लेवल के लिए 62 साल बाद ट्रेड अप्रेंटिस में भर्ती बंद कर रहा है। इसमें ब्लॉक वन में एनएस-1 से एनएस-3 तक तथा ब्लॉक टू में एनएस-4 से एनएस-6 तक के ग्रेड शामिल हैं। अब टाटा स्टील में सीधे सुपरवाइजर ग्रेड यानी एनएस-7 इंट्री प्वाइंट होगा।
इस संबंध में प्रबंधन व यूनियन के बीच सहमति बन चुकी है। एनएस-6 ग्रेड तक की सभी बहाली दो नई कंपनियों टाटा स्टील टेक्निकल सर्विसेज व टाटा स्टील सपोर्ट सर्विसेज के माध्यम से होगी। पूर्व कंपनी में इंट्री प्वाइंट एनएस-4 ग्रेड था और ट्रेड अप्रेंटिस करने पर सीधे अभ्यर्थियों को एनएस-4 ग्रेड में नियुक्त किया जाता है।
ट्रेड अप्रेंटिस के बारे में वह सबकुछ जो आप जानना चाहते हैं
- 1961 से टाटा स्टील में शुरू हुई थी ट्रेड अप्रेंटिस
भारत सरकार के ट्रेड अप्रेंटिस एक्ट 1961 के प्रावधान के साथ ही टाटा स्टील में ट्रेड अप्रेंटिस की शुरुआत हुई। इससे पहले कंपनी में आर्टिशियन ट्रेनी के माध्यम से बहाली होती थी। ट्रेड अप्रेंटिस के जरिए आए कर्मचारियों के क्वालिटी पूर्ण काम को देख कंपनी प्रबंधन वर्ष 1976 बैच से सभी प्रशिक्षुओं को नौकरी की गारंटी के साथ ही स्पेशल ग्रेड बनाकर सीधे एस-9 में बहाल करता था।
- प्रतियोगिता परीक्षा के तहत होती थी बहाली
टाटा स्टील में ट्रेड अप्रेंटिस की बहाली के लिए अब तक प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित की जाती रही है। इसके लिए आवेदन मंगाए जाते हैं। सफल विद्यार्थी से इंटरव्यू लिया जाता है। इंटरव्यू में सफल होने के बाद उनको ट्रेड अप्रेंटिस में बहाली होती थी। इसके महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कंपनी में कार्यरत करीब 11000 कर्मचारियों में से करीब 6000 की नियुक्ति अप्रेंटिस के माध्यम से ही हुई है।
- ट्रेड अप्रेंटिस को कहते हैं कंपनी का बैक बोन
टाटा स्टील के पूर्व एमडी रुसी मोदी, जेजे ईरानी, बी. मुत्थुरमण, एचएम नेरूरकर और टीवी नरेंद्र खुले मंच से कंपनी के ट्रेड अप्रेंटिस कर्मचारियों को कंपनी का बैक बोन बता चुके हैं। ट्रेड अप्रेंटिस के जरिए बहाल 50 से अधिक कर्मचारी चीफ स्तर तक पहुंचे हैं। हाल ही टाटा स्टील के एसएनटीआई के चीफ पद से रिटायर्ड डाॅ. एसके सिंह की बहाली कंपनी में अप्रेंटिस के माध्यम से ही हुई थी। ऐसे दर्जनों अधिकारी हैं जो कंपनी में सफल अधिकारी रहे।
भूषण स्टील का नाम बदलकर बनाई गई हैं दोनों नई कंपनियां
टाटा स्टील में जो दो नई कंपनी टाटा स्टील टेक्निकल सर्विसेज व टाटा स्टील सपोर्ट सर्विसेज बनाई गई हैं वह पूर्व में भूषण स्टील के नाम से जानी जाती थीं। टाटा स्टील टेक्निकल सर्विसेज लिमिटेड का पुराना नाम भूषण स्टील मध्य भारत लिमिटेड है।
यह 13 अप्रैल 2021 को बनी। दूसरी नई कंपनी टाटा स्टील सपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड भूषण स्टील (ओडिसा) का नाम बदलकर 8 अप्रैल 2021 को बनाई गई। टाटा स्टील द्वारा भूषण स्टील के अधिग्रहण के बाद 27 नवंबर, 2018 को भूषण स्टील का नाम बदलकर टाटा स्टील बीएसएल किया गया था। टाटा स्टील की शत प्रतिशत सब्सिडियरी कंपनी बामनीपाल स्टील लिमिटेड (बीएनपीएल) ने भूषण स्टील लिमिटेड में 72.65 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण मई 2018 में पूरा कर लिया था।
नई कंपनियों में कई सुविधाएं नहीं मिलेंगी
नई कंपनियों में बहाल होने वाले कर्मचारियों को टाटा स्टील में मिलने वाली कई सुविधाएं नहीं मिलेंगी। इनके लगभग दो लाख रुपए का मेडिक्लेम की सुविधा होगी। जबकि, कंपनी कर्मचारियों को टीएमएच की सुविधा मिलती है। कंपनी क्वार्टर भी इस नई कंपनी के कर्मचारियों को सीधे टाटा स्टील के जरिए आवंटित नहीं होगा। टेप्स (टिस्को इंप्लाई पेंशन स्कीम) की भी सुविधा नहीं होगी।
ऑपरेटिव ट्रेनी की नियुक्ति भी हुई बंद
टाटा स्टील में इसके पहले भी ओटी (ऑपरेटिव ट्रेनी) के लिए नियुक्ति बंद हो चुकी है। इस पद के लिए विज्ञान में स्नातक की डिग्री वाले ही आवेदन कर सकते थे। इसके लिए भी ट्रेड अप्रेंटिस या जेट की तरह प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित की जाती थी।
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