यूक्रेन से एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले डॉक्टर एमजीएम अस्पताल में इंटर्नशिप करेंगे। झारखंड स्वास्थ्य मुख्यालय में एमबीबीएस छात्रों की इंटर्नशिप कराने की कागजी प्रक्रिया जारी है। यूक्रेन युद्ध के कारण दर्जनों की संख्या में एमबीबीएस छात्र शहर लौट आए, लेकिन भारत में इंटर्नशिप जरूरी है।
फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट योजना के तहत विदेशों में डॉक्टरी करने वाले छात्रों को भारत के किसी न किसी सरकारी अस्पताल में इंटर्नशिप करनी होती है। जबकि नेशनल मेडिकल कमीशन के आदेश पर विभिन्न राज्यों के मेकिकल कॉलेजों के अस्पताल में एमबीबीएस छात्रों की इंटर्नशिप कराई जा रही है, ताकि किसी कारण दूसरे देश से कॉलेज छोड़कर आए एमबीबीएस के छात्रों की पढ़ाई एवं डिग्री पर असर न पड़े। कोरोना लॉकडाउन के समय नेशनल मेडिकल कमीशन में विदेशों से एमबीबीएस करने वालों के लिए इंटर्नशिप का प्रावधान शुरू हुआ है। इसका लाभ यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण घर लौटे मेडिकल छात्रों को मिल रहा है। अभी 2023 में एमजीएम अस्पताल में इंटर्नशिप करने वाले नए डॉक्टरों की सूची राज्य स्तर पर नहीं बनी है।
सरकार दे सकती है 15 हजार स्टाइपेंड
2023 में एमजीएम अस्पताल से इंटर्नशिप करने वाले नए डॉक्टर को सरकार 15 हजार स्टाइपेंड देने पर विचार कर रही है। वर्ष 2021 व 2022 में इंटर्नशिप करने वाले विदेश के एमबीबीएस छात्रों को इंटर्नशिप के दौरान स्टाइपेंड नहीं दिया गया था। इधर, एमजीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. केएन सिंह ने बताया कि 2021 व 2022 में आठ-आठ मेडिकल छात्रों ने एमजीएम अस्पताल में इंटर्नशिप की थी, जिन्हें स्टाइपेंड नहीं मिला था।
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