एसडीओ सह अस्पताल प्रशासक पीयूष सिन्हा की फटकार के बाद भी एमजीएम की इमरजेंसी में सुधार नहीं हुआ है। एक दिन पहले ही एसडीओ ने इमरजेंसी का निरीक्षण कर 24 घंटे के भीतर व्यवस्था में सुधार का निर्देश दिया था, लेकिन व्यवस्था जस की तस रही। मंगलवार को इमरजेंसी में जमीन पर मरीज का इलाज किया जा रहा था। इमरजेंसी के सारे 50 बेड फुल थे। इस कारण यह स्थिति थी। इमरजेंसी से वार्ड में मरीजों को शिफ्ट नहीं करने के बाद अक्सर बेड की कमी हो जाती है। मंगलवार को राखामाइंस से आई किशोरी बिना बेड और चादर के जमीन पर लेटी हुई थी।
उसकी मां ने बताया कि उसे बेड नहीं मिला है। उल्लेखनीय है कि 15 बेड की इमरजेंसी में फिलहाल 50 बेड लगाए गए हैं। गली, बरामद, पार्किंग स्थल को भी वार्ड बनाकर बेड लगा दिए गए हैं, ताकि मरीजों को जमीन पर सोने की नौबत न आए। जिस दिन इमरजेंसी में मरीजों की संख्या बढ़ती है, उस दिन व्यवस्था बेपटरी हो जाती है। अधीक्षक डॉ. रवींद्र कुमार ने बताया कि इमरजेंसी इंचार्ज को निर्देश दिया गया है कि मरीजों की जांच कर उन्हें जरूरत के अनुसार संबंधित वार्ड में शिफ्ट करें, ताकि वहां बेड खाली हो सके और नए मरीजों को बेड मिल सके।
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