इप्टा, पथ और गोमहेड़ के संयुक्त तत्वावधान धातकीडीह स्थित टाटा स्टील के क्रेच सेंटर में चली बाल रंग कार्यशाला
भारतीय जन-नाट्य संघ यानि इप्टा के तत्वावधान में जमशेदपुर शहर के धातकीडीह स्थित टाटा स्टील के क्रेच सेंटर में रंगकर्म को समर्पित संस्था “पथ” और “गोमहेड़” के सहयोग से 20 से 27 मई तक एक “बाल रंग शिविर” (वर्कशॉप) का आयोजन किया गया और 28 मई की शाम को इस कार्यशाला का रंगारंग समापन सोनारी के ट्राइबल कल्चर सेंटर में किया गया. बच्चों ने गीत, नृत्य, किस्सागोई, नाटक और क्राफ्ट मेकिंग में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते हुए मौजूद दर्शकों का मन मोह लिया. 20 मई को प्रारम्भ हुए इस बाल रंग शिविर में विभिन्न बस्तियों के तकरीबन 29 बच्चों ने हिस्सा लिया और कला की विभिन्न विधाओं को सीखा. गीत, संगीत नाटक, क्राफ्ट आदि की बारीकियां सीखी. इसमें विभिन्न आयु-वर्ग के बालक और बालिकाएं शामिल हुईं.
दिवंगत रंगकर्मी कुलदेव महतो को उनकी जयंती पर दी गई श्रद्धांजलि
28 मई की शाम रंगारंग कार्यक्रमों की शुरुआत से पूर्व वरिष्ठ रंगकर्मी व सिनेमा कलाकार दिवंगत कुलदेव महतो की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई. इस दौरान सभी ने एक मिनट का मौन रखा.
बच्चों ने पिछले सात दिनों में जो सीखा, उसे प्रदर्शित करने का अवसर उन्हें मिला 28 मई की शाम को, जब इस कार्यशाला का रंगारंग समापन सोनारी के ट्राइबल कल्चर सेंटर में किया गया, जिसमें तमाम बच्चों ने गीत, नृत्य, किस्सागोई, क्राफ्टिंग और नाटक की प्रस्तुति देकर मौजूद दर्शकों का मन मोह लिया. गीत ‘किताबें करती हैं बातें..’, की प्रस्तुति बच्चों ने सामूहिक रूप से दी. भारतेंदु हरिश्चंद्र के नाटक ‘नाटक-अंधेर नगरी चौपट राजा’ के सफल मंचन से बच्चों ने दर्शकों को हैरत में डाल दिया.
20 मई से प्रारम्भ बाल रंग कार्यशाला में 29 बच्चों ने भाग लिया
इससे पहले विगत 20 मई से बाल रंग कार्यशाला शुरु हुई. इस कार्यशाला में झाबरी बस्ती, मुखी बस्ती, सी एच एरिया और बिष्टुपुर के आउटहाऊस में रहने वाले 29 बच्चों ने भाग लिया. इनमें से बहुत से बच्चों ने पहली बार मंच पर प्रस्तुति दी, जो इनके लिए बहुत उत्साह और खुशी की वजह भी रही. इस कार्यशाला में बच्चों ने गीत, नृत्य और एक नाटक तैयार किया. इस दौरान नियमित रूप से एक्सरसाइज़ के साथ वॉइस प्रोजेक्शन, थियेटर गेम और क्राफ्ट के काम में इनकी भागीदारी रही.
बच्चों, खासकर लड़कियों पर पढ़ाई के दबाव के अलावा कई बंदिशें-अर्पिता
इस बारे में जमशेदपुर इप्टा की सचिव अर्पिता ने बताया कि सबसे छोटे 8 वर्षीय शिविरार्थी कार्तिक और श्रवण ने सक्रियता से भाग लिया. ये दोनों नाटक में भी शामिल हुए. 29 बच्चों में से 18 लड़कियां 8 वर्ष से 15 वर्ष आयु वर्ग की शामिल रही. इनमें से कुछ लड़कियां ऐसी थीं, जो शुरुआत में बात करने में भी हिचक रही थीं. वे इस दौरान खुली और गीत-नृत्य-नाटक के जरिए अपने व्यक्तित्व को निखारा. जिस सामाजिक बुनावट से ये बच्चे आते हैं, उसमें इनमें काम, पढ़ाई के दबाव के अलावा कई बंदिशें भी लागू होती हैं, पर कुछ इससे बाहर निकली और कार्यशाला में शामिल होकर सामूहिक काम करने का अनुभव कर पाई.
कार्यशाला के सफल आयोजन में इनका रहा ख़ास सहयोग व योगदान
कार्यशाला के दौरान शिक्षा क्षेत्र में प्रसिद्ध अरविंद तिवारी, अर्बन सर्विसेज़ से बी मरांडी, प्रभात खबर के संपादक संजय मिश्रा, संजय जी, करीम सिटी कॉलेज में थियेटर पढ़ा रहे शिवलाल सागर, मशाल न्यूज़ के साथी शशांक शेखर महतो आए. कॉमरेड शशि कुमार और अहमद बद्र कार्यशाला में हौसला-अफ़ज़ाई के लिए लगातार आते रहे. कार्यशाला करने के लिए इप्टा को जगह उपलब्ध कराया टाटा स्टील ने, साथ ही समापन के लिए ट्राइबल कल्चर सेंटर भी उपलब्ध कराया. इसमें बड़ी भूमिका रही जे आर डी स्पोर्टस के हेड हसन इमाम मल्लिक की.
“किताबें करती हैं बातें..”गीत व “अंधेर नगरी चौपट राजा” नाटक सह कई अन्य रही प्रस्तुतियां
आज 28 मई की शाम बच्चों ने प्रस्तुत किए गीत-’किताबें करती हैं बातें…’ ( गीत-सफ़दर हाशमी), ‘पढ़ के हम तो इंकिलाब लाएंगे….’ ( गीत-धुन हरिओम राजोरिया). उर्मिला लंघिया हांसदा के निर्देशन में बच्चों ने संथाली नृत्य प्रस्तुत किया. शिविर के दौरान भारतेंदु हरिश्चंद्र का नाटक ’अंधेर नगरी चौपट राजा’ का प्रदर्शन किया गया. इस नाटक का निर्देशन किया रामचंद्र गुरुवारी मार्डी, सह निर्देशन रहा रूपेश उमा, सूरज मेचो और विकास सरस्वती कर्मकार का. साज-सज्जा यानि मेकअप दीपेश और सुषमा ने किया. आगे अर्पिता ने बताया, “इस पूरे आयोजन में उपयोग की गई सारी पोशाकों में नृत्य में प्रयोग होने वाली साड़ी जान-पहचान के कई लोगों से मिली और नाटक-नृत्य की प्रॉपर्टी हम लोगों ने मिलकर बनाई.
इसमें अंधेर नगरी चौपट राजा में राज और मंत्री के मुकुट बनाकर दिया 12 वीं पढ़ रही अपूर्वा अंजला ने जो बहुत सुन्दर बना है. इस कार्यशाला के दौरान हमने कई साथियो के कई हुनर को पहचाना, यह हम सबकी साझी ज़िम्मेदारी है कि हम इन साथियो के साथ लगातार काम करें और सांस्कृतिक चेतना की राह में आगे बढ़ें.”
इप्टा पिछले 3 वर्ष से वंचित बच्चों के साथ काम कर रही है
अर्पिता ने बताया कि इस कार्यशाला की पहल इप्टा द्वारा की गई, जो पिछले 3 वर्ष से वंचित बच्चों के साथ काम कर रही है. इन बच्चों के बीच बाल- साहित्य के माध्यम से सोचने-विचारने का रास्ता बनाने की कोशिश में लगी है इसके साथ सांस्कृतिक चेतना की लौ जलाने का काम कर रही है. कार्यशाला में सह आयोजक संस्था रही “पथ” और ” गोम्हेड़”. पथ बहुत लंबे समय से शहर के युवाओं को थियेटर से जोड़ने और सिखाने का महत्वपूर्ण काम कर रही है. गोम्हेड़ संथाली थियेटर करने वाली संस्था है जो संथाली संस्कृति के साथ लोक संस्कृति को संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है.”
आगे भी इस तरह के आयोजन होते रहेंगे-अर्पिता
जमशेदपुर इप्टा की अर्पिता, पथ की मो. निज़ाम कय्यूमा और गोम्हेड़ के रामचंद्र मार्डी और उर्मिला हांसदा ने मिलकर साझा कार्यशाला की शुरुआत की. कार्यशाला की प्रेरणा रहे कॉमरेड शशि कुमार और जमशेदपुर इप्टा के अध्यक्ष अहमद बद्र. इस कार्यशाला में सहयोगी रहे- अंजना, अंजला, रूपेश, मनोरमा, सूरज, हीरा अरकने, श्वेता, ख़ुर्शीद, विकास कर्मकार, आमिर, दीपेश, सुषमा, नीतिश. हम प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े तमाम साथी, संगठन और संस्थाओं को अर्पिता ने धन्यवाद देते हुए हुए उम्मीद ज़ाहिर की, कि आगे भी वे इसी तरह से साथ बने रहेंगे.और इस तरह सफल समापन हुआ बाल रंग शिविर का.
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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