झारखंड सरकार के मंत्री बन्ना गुप्ता ने स्वर्णरेखा नदी को साफ करने का जिम्मा उठाया है। झारखंड में बढ़ता नदियों का प्रदूषण एक गंभीर मामला है।सिर्फ स्वर्णरेखा ही नहीं झारखंड की 9 नदियों की स्थिति खराब है। भारत सरकार के केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) की ओर से जारी रिपोर्ट में झारखंड की नौ नदियों की स्थिति खराब बतायी गयी है। इस रिपोर्ट के हिसाब से स्वर्णरेखा और हरमू राज्य की दो सबसे प्रदूषित नदियां हैं।
हर दिन बढ़ रहा है प्रदूषण
स्वर्णरेखा का पानी इतना गंदा हो चुका है कि इसके उपयोग से गंभीर बीमारी का बड़ा खतरा है। राजधानी का इंडस्ट्रियल एरिया तुपुदाना के पास नदी की स्थिति गंभीर है। जमशेदपुर शहर के कई छोटे-बड़े नालों का गंदा पानी नदी में जाता है। बड़ा नाला गोलमुरी से शुरू हो बिरसानगर, बारीडीह होते हुए भोजपुरी घाट के समीप नदी में मिल जाता है।इस नाले से 2 करोड़ 50 लाख लीटर गंदा पानी प्रतिदिन नदी में जाता है। जलकुंभी के कारण खरकई और स्वर्णरेखा नदी में दूर-दूर तक पानी नजर नहीं आता। बन्ना गुप्ता ने स्वर्णरेखा नदी के घटते जल स्तर एवं बढ़ते जल प्रदूषण पर अब चिंता व्यक्त की है। जल संसाधन विभाग के विभागीय मंत्री सह माननीय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से बन्ना गुप्ता ने इस संबंध में विस्तार से चर्चा की है। इस चर्चा में विभागीय सचिव भी शामिल रहे।
बन्ना गुप्ता ने की सीएम से चर्चा
चर्चा में स्वर्णरेखा नदी के संरक्षण एवं सौंदर्यकरण पर बात हुई। बन्ना गुप्ता ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से आग्रह किया है कि सचिव को निर्देशित कर चांडिल डैम से संतुलित जल प्रवाह छोड़ने का इंतज़ाम किया जाए। जिससे स्वर्णरेखा नदी में जमे गंदे पानी एवं जलकुंभी बह जाएगा एवं जल के प्रदूषण स्तर में तत्काल सुधार आ जाएगा। जमशेदपुर शहर के नालों के पानी का नदी में सीधा संचार होना स्वर्णरेखा नदी के जल प्रदूषण का मुख्य कारण बताया है।
कितने नालों से गिरता है स्वर्णरेखा में गंदा पानी
जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति, मानगो अधिसूचित क्षेत्र समिति एवं टाटा स्टील यूटिलिटी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को स्वर्णरेखा नदी से मिल रहे सभी छोटे एवं बड़े नालों का विवरण प्रस्तुत करने को कहा गया है। इसे लेकर एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई जा रही हैं। बैठक में नदी में गंदा पानी जाने से रोकने के लिए अभी तक कि क्या योजना बनी है एवं क्या बनाने की आवश्कता है। इस पर चर्चा होगी। मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा, स्वर्णरेखा नदी और खरकई नदी के दोनों तरफ पेड पौधा बड़े पैमाने पर लगाने के लिए कार्य योजना भी तैयार की जाएगी। जिससे नदी के दोनो तरफ मनोरम स्थल विकसित होगा।
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