टूटे-बिखरे हुए समाज को जोड़ने का कार्य करता है साहित्य-डॉ. अशोक कुमार झा
लाल बहादुर शास्त्री मेमोरियल कॉलेज के स्नातक उर्दू विभाग की ओर से एन. ई. पी. 2020 पर आधारित चार वर्षीय स्नातक प्रथम वर्ष कार्यक्रम के विभागीय व्याख्यान का आयोजन किया गया । व्याख्यान का विषय – “तौबतुननसूह के हवाले से डिप्टी नज़ीर अहमद की नाविलनिगारी का जायेज़ा” थी। यह व्याख्यान माला की दसवीं कड़ी थी। व्याख्यान की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ. अशोक कुमार झा ने कहा, “नाविल या वृतांत और उपन्यास हमारे जीवन के अंगो- उपांगों को सहज शब्दावली में अभिव्यक्ति प्रदान करता है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह हमारी कहानी हैं। इसमें कथानक की कहानी अपनी कहानी महसूस कराता है। सभी साहित्य को पढ़ने से यह महसूस होता है कि सभी का दिशा एक ही है, सभी की विषय – वस्तु एक ही है। टूटे बिखरे हुए समाज को जोड़ने का कार्य साहित्य करता है।”
नाविल इतने पसंद किए गए कि हुकूमत की तरफ़ से इनको इनाम से भी नवाज़ा गया-डॉ. राफ़िया
मुख्य वक्ता डॉ. राफ़िया ( पी. जी. डिपार्टमेंट, कोल्हान विश्वविद्यालय, चाईबासा) ने कहा कि डिप्टी मौलवी नज़ीर अहमद का बहुत बड़ा एहसान है कि उर्दू में नाविलनिगारी की बुनियाद इन्हीं के मुबारक हाथों से पड़ी मौलवी नज़ीर अहमद ने बहुत सी किताबें लिखी, मगर इनकी शोहरत का दारोमदार उनके नाविलों पर है। उनके नाविल इतने पसंद किए गए कि हुकूमत की तरफ़ से इनको इनाम से भी नवाज़ा गया। तौबतुननसूह नज़ीर अहमद का तीसरा नाविल है, जिसे इनका शाहकार कहा जाता है, 1877 ई. में प्रकाशित हुआ, जिसमें औलाद की सही उम्र में तरबियत पर रौशनी डाली गयी है।
नाविल ज़िन्दगी की मुकम्मल तस्वीर है-डॉ. शबनम परवीन
डॉ. शबनम परवीन (सहायक प्राध्यापक, एल. बी. एस. एम. कॉलेज, करनडीह, जमशेदपुर) संयोजक सह विभागाध्यक्ष ने अतिथियों का स्वागत और अभिनन्दन किया और कहा कि नाविल ज़िन्दगी की मुकम्मल तस्वीर है, जिसमें ज़िन्दगी के मुख़तलिफ़ वाक़यात व हादसात को दिलचस्प पैराये में पेश किया जाता है।
यू. जी. छात्रा नाज़िश अर्शी ने मंच का संचालन किया तथा धन्यवाद ज्ञापन निमी परवीन ने दिया। इस मौके पर डॉ. प्रशांत, प्रो. मोहन साहू, प्रो. प्रमिला किस्कू , डॉ. सुधीर सुमन तथा छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
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शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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