झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रांची स्थित राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में सोमवार की दोपहर एक महिला ने पाँच बच्चियों को जन्म दिया. इन बच्चों की माँ अंकिता कुमारी और पिता प्रकाश कुमार साव ख़ुश हैं, क्योंकि उन्हें शादी के सात साल बाद बच्चे हुए हैं. 27 साल की अंकिता झारखंड के चतरा ज़िले के मलकपुर गांव की रहने वाली हैं. यह इटखोरी प्रखंड का हिस्सा है. उनके पति प्रकाश साव जीवन यापन के लिए फलों का ठेला लगाते हैं. इससे पहले वह किसी होटल में नौकरी करते थे. वह नौकरी छूट गई तो उन्होंने फल बेचना शुरू कर दिया. वे अपने भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं.
प्रकाश साव ने बीबीसी से कहा, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे एक साथ पाँच बेटियां हो जाएंगी. शादी के इतने दिनों बाद बच्चा हुआ, इसलिए हम ख़ुश हैं लेकिन अब इन बच्चों की ज़िंदगी बचा पाने की चिंता भी है. रिम्स के एनआइसीयू में बेड ख़ाली नहीं होने के कारण मुझे अपनी दो नवजात बेटियों को रांची के ही एक प्राइवेट हास्पिटल में एडमिट कराना पड़ा है. बाक़ी तीन बेटियां रिम्स में हैं.”
हालांकि, यह ख़ुशी उनके लिए कई चिंताएं भी लेकर आई है. डॉक्टरों का कहना है कि बच्चियों और उनकी माँ की हालत फ़िलहाल स्थिर है. फिर भी उन्हें अगले कुछ सप्ताह अस्पताल में ही गुज़ारने होंगे. उनकी बच्चियों को दो अलग-अलग अस्पतालों के नियोनटल इंटेसिव केयर यूनिट (एनआइसीयू) में वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया है.
अंकिता कुमारी पिछले सात मई से रिम्स में स्त्री और प्रसूति रोग विभाग की प्रोफ़ेसर डॉ शशिबाला सिंह की यूनिट में भर्ती हैं. प्रसव पूर्व हुई जांच के बाद डॉक्टरों ने उन्हें बता दिया था कि उनके गर्भ में एक से अधिक बच्चे हैं. “अंकिता के मामले में भी ऐसा ही हुआ है. हमें उनका प्रसव सातवें महीने में ही कराना पड़ा. इस कारण उनके बच्चों का वज़न सामान्य से कम (अंडरवेट) है. उनके फेफड़े कमज़ोर हैं. इसलिए उन्हें गहन निगरानी में रखा गया है.
” डॉ. बुलुप्रिया ने बताया कि अंकिता आईवीएफ तकनीक से प्रेग्नेंट हुई थीं. उन्होंने कहा, “आईवीएफ़ उनके लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है, जो प्राकृतिक तरीक़े से माँ-बाप नहीं बन पाते हैं.” “अंकिता सात सालों से माँ नहीं बन पा रही थीं. लिहाजा, उन्होंने हज़ारीबाग के किसी अस्पताल से अपना आईवीएफ़ कराया था. वे कई महीनों से उन्हीं डाक्टर्स की निगरानी में थीं. वहां हुई जांच में ही उन्हें गर्भ में एक से अधिक बच्चे होने की बात पता चली. इसके बाद उन्हें रिम्स रेफ़र कर दिया गया.”
नाम गोपनीय रखने की शर्त पर एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बीबीसी से कहा, “एनआइसीयू में सीमित संख्या में बेड हैं और उन पर पहले से ही दूसरे नवजात बच्चे भर्ती हैं. उन्हें हटाया नहीं जा सकता क्योंकि वे भी गंभीर स्थिति में भर्ती किए गए हैं. अंकिता के मामले में प्रीटर्म डिलिवरी हुई है, इसलिए वेंटिलेटर या इनक्यूबेटर को पहले से आरक्षित रखना कैसे संभव है. ऐसे में उनके पति पंकज साव के आरोप सही नहीं हैं. यह सलाह उनके बच्चों की जान बचाने के लिए दी गई. हमारी प्राथमिकता बच्चों का इलाज है न कि किसी से भेदभाव करना.”
आयुष्मान कार्ड का लाभ
मंगलवार की शाम बर्थ सर्टिफिकेट बनने के बाद अंततः बच्चों का ज़िक्र उनके आयुष्मान कार्ड में आधिकारिक तौर पर हो गया. इस कारण उन्हें निजी अस्पताल में फ़िलहाल कोई पैसा नहीं देना पड़ेगा. हालांकि प्रकाश ने बीबीसी से कहा कि रांची में आकर इलाज कराने, रहने-खाने, अस्पताल बाहर दवाई ख़रीदने में इतने पैसे ख़र्च हो चुके हैं कि उन्हें कर्ज़ लेना पड़ा है. गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के मुताबिक़ एक साथ सबसे अधिक बच्चों को जन्म देने का रिकार्ड मोरक्को की हलीमा सिसे के नाम है. मई 2021 में उन्होंने एक साथ 9 बच्चों को जन्म दिया था. इनमें 5 लड़कियां और 4 लड़के थे.
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