“भारत में संविधान ही सर्वोपरि है. इस पर सभी को भरोसा होना चाहिए। यदि हम अपने अधिकारों की रक्षा करना चाहते हैं, तो इसके लिए यह आवश्यक है कि हम दूसरों के अधिकारों की रक्षा करें। वास्तव में दूसरों के अधिकारों के लिए लड़ना ही स्वयं के अधिकारों के लिए लड़ना है. भारत में सबसे ज्यादा मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है.”
उक्त बातें अखिलेश श्रीवास्तव ने आज ‘भारतीय संविधान के मानवीय-मूल्य’ विषय पर आयोजित इस एक दिवसीय संगोष्ठी में कही। कोलकाता हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और मानव अधिकारों के लिए लम्बे समय से कार्य करने वाले एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अखिलेश श्रीवास्तव को समाज में एक विशिष्ट स्थान प्राप्त है। अखिलेश शनिवार को सिदगोड़ा स्थित पुस्तकालय में विश्व मानव अधिकार दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए शहर आए हुए थे। इस संगोष्ठी का आयोजन ‘आरंभ युवा मंच’ द्वारा किया गया था।
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ मानवाधिकार कार्यकर्ता और गांधी शांति प्रतिष्ठान के सह संयोजक अरविंद अंजुम ने की। अपने संबोधन में अरविंद अंजुम ने मानवाधिकारों और भारतीय जनमानस की मनोवृति के विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि देश में आम नागरिकों को न्याय दिलाने के लिए लम्बे व सघन अभियान की आवश्यकता है । कार्यक्रम में समाज के विभिन्न वर्गों एवं समुदायों से युवा प्रतिनिधियों ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए, जिनमें अविनव कुमार राय, रामन मूर्ति, सुमित अधिकारी, अनमोल, प्रेम, प्रदीप, तरुण, कुमार दिलीप शामिल थे। संगोष्ठी का संचालन अंकुर सारस्वत ने किया।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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