आज मजदूर दिवस है। इस मौके पर लाखों रुपए खर्च कर मजदूर दिवस पर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे। रोजगार छीनने से मजदूर सिसक रहे हैं। उनके परिवार के सपने टूट रहे हैं। धीरे-धीरे यह इलाका मजदूर विहीन होता जा रहा है। केन्द्र तथा राज्य सरकार की उपेक्षा के कारण लगातार बंद होती कॉपर खदान तथा कारखाना के लिए मजदूर संगठनों ने ईमानदारी से एकता नहीं दिखाई। यही कारण है कि झारखंड की काॅपर इंडट्रीज दम तोड़ती जा रही है।
हिंदुस्तान काॅपर लिमिटेड की वर्तमान में झारखंड में संचालित एक मात्र काॅपर माइंस भी लीज के खत्म होने के बाद 2 जून से बंद हो जाएगी। इसके बंद हो जाने लगभग 220 मजदूरों पर बेरोजगारी की तलवार लटक रही है। इसको बंद होने से बचाने के लिए झारखंड सरकार की पहल पर ही कुछ हो सकता है।
दरअसल केंदाडीह माइंस का लीज क्षेत्र 1145 हेक्टेयर है। लीज रिन्युअल के लिए कंपनी प्रबंधन के अनुसार डेढ़ साल से प्रयास किया जा रहा है। यदि झारखंड सरकार चाहे तो डीम्ड लीज एचसीएल को दे सकती है। इसके तहत लीज के लिए पर्यावरण स्वीकृति जैसी आवश्यक कागजी प्रक्रियाओं को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा नियमतः समय दिया जाता है। यह राज्य सरकार के विशेषाधिकार क्षेत्र अंतर्गत आता है।
पर्यावरण स्वीकृति नहीं केंदाडीह माइंस के लीज नवीकरण में हो रही देरी
फॉरेस्ट क्लीयरेंस नहीं मिलने कारण पर्यावरण स्वीकृति नहीं केंदाडीह माइंस के लीज नवीकरण में हो रही देरी की मुख्य वजह यह है कि केंदाडीह माइंस के कुल लीज क्षेत्र 1145 हेक्टेयर में से लगभग 700 हेक्टेयर का पर्यावरण स्वीकृति वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के द्वारा दिया जा चुका है। शेष बचे 400 हेक्टेयर वन क्षेत्र का फाॅरेस्ट क्लीयरेंस नहीं मिल पाने कारण अब पर्यावरण स्वीकृति इस शेष का लीज नहीं मिल पाया है। इसकी फाइलें अब तक राज्य के प्रमुख वन पदाधिकारी सीसीएफ के पास ही अब तक अटकी पड़ी है।
इस माइंस के लीज में आ रही दिक्कतें भी लगभग सुरदा माइंस की तरह ही है। सुरदा माइंस में भी कुल लीज क्षेत्र 385 हेक्टेयर भूमि में अब भी 65 हेक्टेयर क्षेत्र का पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिल पाई है। इसकी मुख्य वजह शेष लीज क्षेत्र 65 हेक्टेयर का फारेस्ट क्लीयरेंस नहीं मिल पाना बताया जा रहा है।
यदि समय रहते माइंस के लीज के लिए सांसद और स्थानीय विधायक भी कोई प्रयास नहीं करते हैं तो केंदाडीह मांइस का मामला भी सुरदा माइंस की तरह अधर में लटक सकता है। इस मामले को लेकर कोर कमेटी के सदस्य आईसीसी के यूनिट हेड से भी मिले । यूनिट हेड श्यामसुंदर शेट्टी ने आश्वस्त किया कि केदाडीह माइंस की स्थिति सुरदा माइंस की तरह नहीं होने दिया जाएगा। कंपनी प्रबंधन इस समस्या पर गंभीर है।
सुरदा माइंस की फॉरेस्ट क्लियरेंस की फाइल राज्य सरकार के सचिव के पास लंबित
अगस्त 2021 में राखा कॉपर माइंस की भी खत्म हो चुकी है लीज, 785 हेक्टेयर जमीन की लीज के लिए प्रयास जारी है। आर्थिक मंदी का हवाला देते हुए कॉपर प्लांट पहले ही बंद हो चुके हैं। जिससे हजारों मजदूर बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं। झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिला में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (एचसीएल) की इकाई इंडियन कॉपर कॉम्प्लेक्स (आईसीसी) स्थित है।
कॉपर इंडस्ट्री के लिए प्रसिद्ध इस क्षेत्र में कभी हजारों मजदूर के हाथ में रोजगार हुआ करता था लेकिन आज परिस्थिति काफी बदल गई है। एचसीएल-आईसीसी में अब गिने-चुने मजदूर ही शेष रह गए हैं। कुछ वर्ष पूर्व तक ठेका मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करने वाले स्थानीय मजदूर भी अब पूरी तरह बेरोजगार हो गए है।
प्रबंधन की गलत नीति तथा केंद्र और राज्य सरकार की उपेक्षा के कारण एचसीएल-आईसीसी की सुरदा माइंस तकनीकी कारणों से बंद पड़ी हैं। सुरदा माइंस का लीज पहले खत्म हो गई थी। झारखंड सरकार ने 20 वर्ष के लिए लीज एक्सटेंशन प्रदान किया तो मामला 65 हेक्टेयर जमीन के तकनीकी पहलू को लेकर फंस गया। कंपनी प्रबंधन सुरदा माइंस को लेकर लगातार प्रयासरत है। सुरदा माइंस की 65 हेक्टेयर जमीन के फॉरेस्ट क्लियरेंस की फाइल झारखंड सरकार के सचिव के पास लंबित पड़ी है।
भारत सरकार की वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के पास जाएगी
सचिव के अनुमोदन के उपरांत ही फाइल भारत सरकार की वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के पास जाएगी। भारत सरकार से क्लियरेंस हासिल होने के बाद माइंस में दोबारा प्रोडक्शन शुरू हो पाएगा। हालांकि यह एक लंबी प्रक्रिया है जिसमें काफी समय लग सकता है। यानी सुरदा माइंस के फिलहाल जल्द चालू होने की फिलहाल उम्मीद कम ही है।
जाहिर है की इसका प्रतिकूल असर मुसाबनी कंस्ट्रेटर प्लांट पर भी पड़ रहा है जिससे हजारों मजदूर बेरोजगारी की मार झेलने को मजबूर है। सुरदा के बाद केन्दाडीह बंदी की बारी: सुरदा माइंस को लेकर संघर्षरत एचसीएल प्रबंधन के लिए एक और बड़ी समस्या केंदाडीह माइंस को लेकर भी उत्पन्न होने लगी है। केंदाडीह माइंस की 1139 हेक्टेयर जमीन के लीज एक्सटेंशन को मंजूरी नहीं मिली तो एचसीएल-आईसीसी की एकमात्र चालू खदान भी सरकार की उपेक्षा के कारण बंद हो जाएगी।
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