कार्यपालिका में विधायिका का वर्चस्व के कारण भारत का संविधान है खतरे में – विकास सिंह, भाजपा नेता विकास सिंह ने माननीय उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को जमशेदपुर के दो अहम मुद्दों की जानकारी ईमेल के साथ-साथ रजिस्टर्ड पत्राचार कर त्राहिमाम पत्र लिखते हुए बताया कि झारखण्ड के जमशेदपुर में विधायिका का कार्यपालिका के ऊपर वर्चस्व कायम हो गया है कार्यपालिका विधायक के समीप नतमस्तक है जिससे लोगों का ना केवल न्याय नहीं मिल रहा है बल्कि संविधान भी खतरे में । विकास सिंह के द्वारा माननीय उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को लिखा गया त्राहिमाम पत्र …..
आपके व्यस्ततम समय में बाधा उत्पन्न कर क्षमा याचना करते हुए आपका ध्यान आकर्षित कराते हुए आग्रह कर रहा हूं की दो महत्वपूर्ण विषय पर आप स्वतः संज्ञान लीजिए क्योंकि मामला सीधे भारत के संविधान को धराशाई करने से जुड़ा हुआ है । वर्तमान में जमशेदपुर में दो ऐसे महत्वपूर्ण मामले हैं जिसमें कार्यपालिका पर विधायिका पूरी तरह अपना वर्चस्व स्थापित करते हुए भारत के संविधान और कानून को हाथ में लेने का काम कर रही है । जमशेदपुर पश्चिम के विधायक सह राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता अपने पावर का दुरुपयोग कर खुलेआम कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं ।
महोदय 2017 में जमशेदपुर के मानगों में स्थित सहारा सिटी की एक नाबालिग बच्ची के साथ दर्जनों लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म किया था मामला ना केवल प्रकाश आया बल्कि नाबालिग बच्ची के द्वारा सभी दरिंदों की पहचान भी की गई थीं, इस मामले में पीड़िता के काफी मशक्कत करने के बाद लगभग छः महीने के बाद 19/1/2018 को मानगो थाना में कांड संख्या 13/18 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। इस प्रकरण में शामिल दो पुलिस के आला अधिकारी आज तक काम से विमुक्त किए गए हुए हैं और दो लोग सलाखों के पीछे भी है ।
इस पूरे प्रकरण का मुख्य अभियुक्त स्थानीय विधायक सह राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता जी के भाई गुड्डू गुप्ता हैं पीड़िता के दर्जनों बार बयान और पहचान करने के बावजूद भी ऊंची रसूख रखने के कारण पोस्को एक्ट का मुख्य अभियुक्त गुड्डू गुप्ता आज भी सलाखों से दूर है । अनेकों तरह के कानूनी दांवपेच के हथकंडे अपनाकर राज्य के मंत्री बन्ना गुप्ता ने अपने भाई को कई वर्ष बीत जाने के बाद भी अभी तक जेल जानें से बचाने का सफल प्रयास किया है जो सीधे-सीधे ना केवल पॉस्को धारा को कमजोर कर अपराधियों का मनोबल बढ़ा रहा हैं बल्कि भारत के संविधान को भी चुनौती देने का काम कर रहा है ।
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के रसूख का दूसरा उदाहरण उस वक्त देखने को मिला जब उन्होंने खुलेआम 17 अप्रैल को रात्रि 1:26 पर एक महिला के साथ अश्लील चैटिंग और गंदी हरकत कर रहे थे, मामला प्रकाश में आने के बाद उन्होंने एक सादे कागज में जमशेदपुर के साइबर थाना में खानापूर्ति और अपने आपको बचाव करते हुए एक लिखित शिकायत कर दी । लेकिन बड़े दुर्भाग्य की बात है कि कोई भी पुलिस के आला अधिकारी उनके मामले में जांच करने से कतरा रहें है ।
हद तो तब हो गई जब मंत्री के भय से साइबर थाना के प्रभारी ने अचानक छुट्टी लेकर थाना छोड़कर चले गए । उनका और चैटिंग करने वाली महिला का मोबाइल फोन जिससे चैटिंग की गई थी उसे पुलिस जांच करना तो दूर जांच के लिए लेने के लिए भी कतरा रही है । जांच कर चैटिंग वाले मामले में मंत्री पर करवाई ना करना कहीं ना कहीं समाज में अश्लीलता फैलाने के साथ-साथ पोर्न को बढ़ावा देने का कार्य है । पूरे राज्य की जनता को उपरोक्त दोनों विषयों में कहीं ना कहीं विधायिका की कार्यपालिका का बढ़ते वर्चस्व को दर्शाता है इसलिए बहुत हिम्मत जुटाकर श्रीमान को त्राहिमाम पत्र लिख रहा हूं कि श्रीमान स्वतः इस मामले में संज्ञान लेंगे तो निश्चित रूप से दोषियों के ऊपर ना केवल कार्रवाई होगी बल्कि भारत का संविधान भी सुरक्षित रहेगा ।
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