सिलिकोसिस पीड़ित जगन्नाथ पातर का समुचित ढंग से ईलाज नहीं हो पा रहा है
सिलिकोसिस आक्रांत मजदूरों को न्याय दिलाने के लिए पिछले कई वर्षों से राज्य में सक्रिय एक गैर सरकारी संस्था ओशाज इंडिया के महासचिव समित कर ने एक प्रेस बयान के ज़रिए बताया है कि सिलिकोसिस आक्रांत मुसाबनी निवासी मजदूर जगन्नाथ पातर का समुचित ढंग से ईलाज नहीं हो पा रहा है, यह गंभीर चिंता का विषय है. सरकार का सम्बद्ध विभाग और अस्पताल की उदासीनता के कारण मरीज़ की हालत चिंताजनक बन गई है.
सिर्फ एक ईसीजी कर मरीज़ को एमजीएम अस्पताल भेज दिया गया
उन्होंने बताया है कि विगत 3 अप्रेल को जगन्नाथ पातर को वहां के ईएसआई हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. 15 अप्रैल की सुबह उक्त अस्पताल से जगन्नाथ पातर को यह कहकर मानगो स्थित उमा नर्सिंग होम रेफर कर दिया कि ईएसआई हॉस्पिटल में चेस्ट (छाती) रोग एवं पल्मोनरी मेडिसिन का चिकित्सक नही हैं। उमा नर्सिंग भी उसी बात कहते हुए उसे ईएसआई अस्पताल वापस भेज दिया, जहां चिकित्सक ने उसको पुन: भर्ती करने मना कर दिया। सिर्फ एक ईसीजी कर एमजीएम अस्पताल भेज दिया, जहां वे आशंका जनक स्थिति में मरीज़ ईलाजरत है।
मरीज़ की स्थिति खराब है
श्री कर ने कहा कि यह सर्वविदित है कि सिलिकोसिस एक लाईलाज बिमारी है। मरीज़ की स्थिति खराब है और उसे अपातकालीन विभाग के बेड नं.-5 में भर्ती कर ऑक्सीजन थेरेपी दी जा रही है। संयोग ऐसा है कि जगन्नाथ के सहकर्मी कुणाल कुमार सिंह रिम्स से वापस आने के पश्चात एमजीएम अस्पताल के बेड नंबर 20 में भर्ती हैं, लेकिन 24 घंटा ऑक्सीजन के सपोर्ट में है। उन्होंने कहा, ‘सिलिकोसिस आक्रांत मजदूरों की इस स्थिति के लिए श्रम, स्वास्थ, पर्यावरण, जिला प्रशासन, एवं कारखाना निरीक्षण विभाग जिम्मेदार हैं।
जगन्नाथ पातर कृष्णा एंड कृष्णा उद्योग में 2011-12 से कार्यरत रहा है, लेकिन उनका ESI में निबंधन 10/05/2022 में किया गया. उसी कंपनी में कार्यरत रहा कुणाल कुमार सिंह 2018 से 2022 तक कार्यरत रहा। दिन का आधा समय सुपरवाईज़री का काम और बाकी समय आफिस का काम करता था। उसका भी ESI में निबंधन 10/05/2022 को हुआ।‘
सिलिकोसिस को नियुमोकोनियोसिस लिखवाया गया
कहा कि कंपनी, ESI एवं सरकारी पदाधिकारी चिकित्सकों की मिलीभगत के कारण उक्त मरीजों का सही तरीका से इलाज नहीं हो रहा है। उनको इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। जगन्नाथ पातर के मेडिकल प्रिस्क्रिप्शन में चिकित्सक सिलिकोसिया लिखा था, लेकिन उन पर दवाव डालकर सिलिकोसिस काटकर नियुमोकोनियोसिस लिखवाया गया। हालांकि सिलिकोसिस, नियुमोकोनियोसिस बीमारी का एक रूप है। इसी तरह गरीब मजदूरों के साथ अन्याय हो रहा है। इसके लिए उक्त सरकारी विभाग जिम्मेदार हैं।
सर्वोच्च अदालत के आदेशों का उल्लंघन
समित कर ने यह भी कहा कि सरकारी पदाधिकारीगण सिलिकोसिस पीड़ितों के लिए दिया गया सर्वोच्च अदालत के आदेशों का उल्लंघन कर रहे हैं। चाईबासा सिलिकोसिस मामले में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने झारखंड के मुख्य सचिव को यह चेतावनी दी है कि सही रिपोर्ट नहीं भेजे जाने पर सख्त रुख अपनाया जाएगा अर्थात आयोग की अदालत में शारीरिक रूप से उपस्थित रहने के लि भी समन कर सकते हैं।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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