भारतीय मूल के फिज़िशियन अनिल मेनन नासा द्वारा गठित इस नई टीम का हिस्सा हैं। अगले साल जनवरी से मेनन नासा में मिली इस नई भूमिका में काम शुरू करेंगे।
कौन हैं अनिल मेनन
अनिल के माता-पिता भारत और यूक्रेन से थे। इनकी परवरिश और पढ़ाई अमेरिका के मिनेसोटा से हुई थी।अनिल ने 1999 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से न्यूरोबायोलॉजी में ग्रेजुएशन और 2004 में कैलिफोर्निया की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। स्टैनफोर्ड मेडिकल स्कूल से उन्हें डॉक्टर की डिग्री भी मिली। अनिल भारत पोलियो अभियान की स्टडी के लिए आए थे और यहां करीब एक साल तक रहे थे।
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर NASA के कई अभियानों के लिए बतौर क्रू फ्लाइट सर्जन का काम कर चुके अनिल मेनन अमेरिकी एयरफोर्स में लेफ्टिनेंट कर्नल हैं।
क्या खास है इस मिशन में
यह मिशन इसलिए भी खास है क्योंकि अब तक चांद पर कोई भी भारतीय अंतरिक्ष यात्री नहीं गया है। अगर अनिल मेनन इस मिशन का हिस्सा बने रहते हैं तो चांद पर जाने वाले पहले भारतीय होंगे।
12 हजार में से 10 का हुआ चयन
नासा के इस मून मिशन के लिए करीब 12 हजार आवेदन मिले थे, जिसमें केवल 10 को चुना गया । मून मिशन के लिए चुने गए सभी 10 लोगों को अगले साल जनवरी में टेक्सास के जॉनसन स्पेस सेंटर पर 2 साल की ट्रेनिंग से गुजरना होगा।ट्रेनिंग के बाद 10 लोग आर्टेमिस जेनरेशन प्रोग्राम का हिस्सा बनेंगे। इस प्रोग्राम के जरिए ही इन्हें चांद पर भेजा जाएगा।
अब तक कितने भारतीय अंतरिक्ष तक पहुंचे?
अब तक भारत से 4 लोग अंतरिक्ष में जा चुके हैं। इनमें अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा,कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स और राजा चारी शामिल हैं। हालांकि, अब तक कोई भी भारतीय चांद तक तक नहीं पहुंच पाया है।उम्मीद जताई जा रही है कि अगर अनिल मेनन नासा के इस मिशन का हिस्सा बने रहते हैं तो चंद्रमा पर जाने वाले पहले भारतीय मूल के शख्स होंगे।
Article by- Nishat Khatoon
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