सांसद विद्युत वरण महतो ने मंगलवार काे धालभूमगढ़ एयरपोर्ट का मामला लोकसभा में उठाया। उन्होंने कहा – मेरा संसदीय क्षेत्र जमशेदपुर जो टाटा स्टील जैसे औद्योगिक घराने के लिए प्रसिद्ध है, एमएसएमई का एक बड़ा सेक्टर भी आदित्यपुर औद्याेगिक क्षेत्र में अवस्थित है और एसएसआई व ऑटोमोबाइल सेक्टर के छोटे-बड़े उद्योगों को मिलाकर लगभग दो हजार उद्योग स्थापित हैं। माइंस का भी बड़ा क्षेत्र है। इसलिए केंद्र सरकार ने धालभूमगढ़ एयरपोर्ट निर्माण की स्वीकृति प्रदान की थी। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने लगभग 100 करोड़ रुपए एयरपाेर्ट निर्माण के लिए आवंटित किया था।
एयरपोर्ट की स्वीकृति के बाद जनवरी 2019 में भारत सरकार ने एयरपाेर्ट निर्माण के लिए भूमि पूजन कर शिलान्यास किया था। कहा कि धालभूमगढ़ एयरपोर्ट बन जाने से केवल झारखंड ही नहीं, बल्कि पश्चिम बंगाल के खड़गपुर, मिदनापुर, झाड़ग्राम. पुरुलिया और ओडिशा के बारीपदा मयूरभंज और बालेश्वर भी एयर कनेक्टिविटी से जुड़ जाएगा। उन्होंने कहा कि 7 फरवरी 2023 को लोकसभा में मामला उठाया था, जिसका जवाब केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री जनरल डॉ वीके सिंह ने लिखित में दिया था।
कहा गया है पर्यावरण मूल्यांकन समिति ने देखा कि प्रस्तावित स्थल जंगल में पड़ता है जो बड़ी संख्या में हाथियों का निवास स्थान है, वह स्थान एलिफेंट काॅरिडाेर के रूप में जाना जाता है। इसलिए 25.9.2020 की बैठक में यह निष्कर्ष निकाला कि प्रस्तावित स्थल हवाई अड्डे के लिए उपयुक्त नहीं है। समिति वर्तमान स्थल चयन से सहमत नहीं थी। इसलिए केंद्र सरकार ने धालभूम एयरपाेर्ट योजना के प्रस्ताव को एक वैकल्पिक स्थल का पता लगाने के लिए कहा गया है।
एक भी हाथी आज तक लाेगाें ने नहीं देखा
सांसद महतो ने कहा केंद्र सरकार के जवाब से मुझे घोर निराशा हुई है क्योंकि स्थानीय लोगों का कहना है कि आज तक उन्होंने एक भी हाथी नहीं देखा, तो हाथियों का गलियारा कहां से हो जाएगा। सांसद ने कहा कि अब पता नहीं कौन सी चयन समिति है जाे कब वहां स्थल निरीक्षण करने गई। इसकी भी जानकारी स्थानीय सांसद होने के नाते मुझे नहीं मिली। पूर्व में उक्त स्थान पर वन विभाग के सीसीएफ, तीन डीएफओ ने कहा था कि एयरपाेर्ट निर्माण पर कोई दिक्कत नहीं है।
उस वक्त एयरपोर्ट अथॉरिटी के पदाधिकारी भी वहां उपस्थित थे। उक्त स्थान से 500 मीटर की दूरी पर एनएच एवं 100 मीटर की दूरी पर रेलवे लाइन है। पूर्व में भी वन विभाग एवं एयरपोर्ट अथॉरिटी के अधिकारियों द्वारा कम से कम 10 बार स्थल का निरीक्षण किया था। उस समय टीम ने कहा था कि जंगली बांसों का झुंड है, जिसे हटा लिया जाएगा। सांसद ने केंद्र सरकार से मांग की कि झारखंड सरकार से वार्ता कर वन भूमि का अनापत्ति प्रमाण निर्गत कराते हुए धालभूमगढ़ एयरपोर्ट निर्माण कार्य शुरू किया जाए।
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