पिछले तीन सालों में एलिफेंट अटैक में राज्य के 204 लोगों की मौत हुई है। इसके अलावा 97 लोग घायल हुए हैं। ये आंकड़ा विधानसभा सत्र में वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने दी है। छत्तीसगढ़ में मानव-हाथी संघर्ष पिछले 20 वर्षों से जारी है. अबतक सैकड़ों लोगों की जान हाथियों ने ली है। किसानों की हजारों एकड़ फसल बर्बाद हो चुकी है. इसके अलावा 20 साल में 173 हाथियों की मौत हुई है। लेकिन इस पर आज तक कोई ठोस रणनीति नहीं बन पाई है। अपको बता दें की पिछले तीन सालों में एलिफेंट अटैक में राज्य के 204 लोगों की मौत हुई है। इसके अलावा 97 लोग घायल हुए हैं। ये आंकड़ा विधानसभा सत्र में वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने दी है.
छत्तीसगढ़ में पहली बार 1988 में आए हाथी.
छत्तीसगढ़ में आज से 32 साल पहले हाथियों का आगमन ओडिशा और झारखंड से हुआ था. वन्य जीव प्रेमी नितिन सिंघवी दशकों से वाइल्ड लाइफ में गहरी रुचि रखते हैं, उन्होंने बताया कि, छत्तीसगढ़ में 1988 में पहली बार 2 हाथी आए थे. इसके बाद झारखंड और ओडिशा में लगातर माइनिंग के चलते हाथियों ने छत्तीसगढ़ का रूख किया। राज्य स्थापना के बाद से ही छत्तीसगढ़ में हाथियों की चहलकदमी बढ़ती गई. अब यहां करीब 300 हाथी विचरण करते हैं। इसमें करीब 13 से 18 हाथियों का अलग अलग दल है।
अब हाथियों के पास जाने पर होगी FIR
सिंघवी ने बताया कि अब छत्तीसगढ़ शासन ने निर्णय लिया है की हाथियों के नजदीक जाने वालों के ऊपर केस दर्ज किया जाएगा. इसमें यह भी किया जा सकता है जब भी हाथी क्षेत्र में आते हैं धारा 144 लगा दी जाए। भीड़ नहीं करना है। हालांकि अधिकतर मौत वन विभाग के वार्निग के बाद में हुई है |
करंट लगने से हो रही है हाथियों की मौत-छत्तीसगढ़ में पिछले 20 साल में 173 हाथी की मौत हुई है। इसमें से 53 हाथियों की मौत करंट लगने से मौत हुई है। ग्रामीण अवैध रूप से खुले तार लागते हैं उनसे टकराकर हाथियों की मौत हो जाती है |
एलिफेंट अटैक से हुए नुकसान पर मिलता है मुआवजा
हाथियों के हमले से जनहानि होने पर 6 लाख मुआवजा मिलता है स्थाई रूप से अपंग होने पर 2 लाख, घायल होने पर 59100, पशु हानि होने पर 30 हजार रुपए का मुआवजा मिलता है। वहीं जंगली हाथियों के द्वारा किसानों की फसल नुकसान होने पर प्रति एकड़ 9 हजार रुपए मुआवजा मिलता है, लेकिन मुआवजा उन्हीं किसानों को मिलेगा जिनका फसल 33 प्रतिशत नुकसान हुआ हो.
मानव-हाथी द्वंद रोकने के लिए सरकार बनाएगी एलिफेंट रिजर्व राज्य में बढ़ते मानव हाथी द्वंद पर सरकार ने लेमरू एलिफेंड रिर्जव बनाने का निर्णय लिया है। इसके तहत 1995 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को हाथियों के लिए आरक्षित किया जाएगा |
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