हस्ताक्षर अभियान में कुपोषण से लड़ाई में जीत की दी शुभकामना
एसडीओ धालभूम ने कुपोषण मुक्त राज्य व देश बनाने, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी ने मोटा अनाज अपनाने का संदेश दिया
जिले में 20 मार्च से 03 अप्रैल तक पोषण पखवाड़ा मनाया जा रहा है । पोषण पखवाड़ा 2023 की थीम – “सभी के लिए पोषण: एक साथ, स्वस्थ भारत की ओर” है । साथ ही वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय ‘मोटे अनाज’ वर्ष के रूप में घोषित किया गया है वहीं इस वर्ष पोषण पखवाड़ा का केंद्र-बिंदु, कुपोषण को दूर करने के लिए एक मूल्यवान संपत्ति के रूप में ‘श्री अन्न’ जिसे सभी अनाजों की जननी कहा जाता है, को लोकप्रिय बनाने पर है । इसी कड़ी में उचित पोषण के प्रति जिलेवासियों में जागरूकता लाने को लेकर उपायुक्त विजया जाधव ने समाहरणालय से जागरुकता रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया ।
मौके पर एसडीओ धालभूम पीयूष सिन्हा, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी रोहित कुमार, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी नेहा संजना खलखो, जिला शिक्षा पदाधिकारी निशु कुमारी, सीडीपीओ दुर्गेश नंदिनी समेत महिला पर्यवेक्षिका सविता सिन्हा व अन्य मौजूद रहीं ।
पोषक तत्वों की प्रदर्शनी
बच्चों एवं महिलाओं में सही पोषण के प्रति जागकरूकता लाने को लेकर समाहरणालय परिसर में एक प्रदर्शनी भी लगाया गया जिसका उपायुक्त ने अवलोकन कर आंगनबाड़ी के माध्यम से इसके व्यापक प्रचार प्रसार के निर्देश दिए । उन्होने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में जहां कुपोषण की समस्या ज्यादा आती हैं ,वहां बच्चों का पहला स्कूल आंगनबाड़ी केन्द्र होते हैं, ऐसे में वहां आने वाली गर्भवती माताओं एवं धात्री माताओं का उचित पोषण एवं पौष्टिक आहार के प्रति जागरुक करना बहुत जरूरी है। उपायुक्त ने कहा कि कुपोषण का सामना करने के लिए कोई बाहर की चीजें खाने की जरूरत नहीं है, जो चीजें हमारे दैनंदिन खानपान में है उनका सही तरीके से व स्थानीय स्तर पर उपलब्ध साग सब्जी का उपयोग करें तो कुपोषण पर हम विजय प्राप्त कर सकते हैं ।
उपायुक्त ने हस्ताक्षर अभियान में शामिल होकर कुपोषण के विरूद्ध इस लड़ाई में जीत की शुभकामना दी वहीं एसडीओ धालभूम श्री पीयूष सिन्हा ने आह्वान किया कि आइए देश और राज्य को कुपोषण मुक्त बनायें। जिला समाज कल्याण पदाधिकारी ने मोटा अनाज अपनाने का संदेश दिया।
पोषण पखवाड़ा के दौरान ये कार्यक्रम किए जा रहे हैं
1. मोटे अनाज आधारित खाद्य पदार्थों को पूरक पोषण से जोड़ने, घर-घर तक पहुंचाने, आहार परामर्श शिविर आदि के आयोजन के माध्यम से पोषण-कल्याण के लिए श्री अन्न/मोटे अनाज को बढ़ावा देना और इन्हें लोकप्रिय बनाना।
2. स्वस्थ बालक प्रतिस्पर्धा : अच्छे पोषण, अच्छे स्वास्थ्य और तंदुरूस्ती के लिए प्रतिस्पर्धा की स्वस्थ भावना पैदा करके परिभाषित मानकों के अनुरूप ‘स्वस्थ बालक’ की पहचान करना और इसका उत्सव मनाना
3. सक्षम आंगनबाड़ियों को लोकप्रिय बनाना: आंगनबाड़ी केन्द्रों को लोकप्रिय बनाने और जागरूकता बढ़ाने के लिए अभियान चलाए जा रहे, इसके लिए आंगनबाड़ियों को बेहतर पोषण, प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा के केंद्रों के रूप में उन्नत अवसंरचना और सुविधाओं के साथ सक्षम करने का प्रयास है ।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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