बीस सूत्री मांगों का चार्टर प्रस्तुत किया गया
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला संगठनों की संयुक्त समन्वय समिति द्वारा मनाया गया सप्ताह भर का प्रचार अभियान आज 13 मार्च को भारत की महामहिम राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन प्रस्तुत करने के कार्यक्रम के साथ संपन्न हुआ।
जनवादी महिला समिति (एडवा), कामकाजी महिलाओं की समन्वय समिति (सीटू), विभिन्न ट्रेड यूनियनों की महिला प्रकोष्ठों सहित प्रमुख महिला समाजसेवियों द्वारा संयुक्त रूप से आज पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त के माध्यम से भारत की महामहिम राष्ट्रपति को संबोधित करते हुए एक संयुक्त ज्ञापन सौंपा गया है।
ज्ञापन में देश की प्रत्येक महिला नागरिक को समान अधिकार एवं न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में बीस सूत्री मांगों का चार्टर प्रस्तुत किया गया। पूरबी घोष, शर्मिला ठाकुर, जया मजूमदार, पानमोनी किसकू , उषा सिंह, आई पुष्पा लता सहित अन्य प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने मौजूदा पितृसत्तात्मक समाज में शोषण, हिंसा और भेदभाव की प्रवृत्ति में गिरावट के कोई संकेत नहीं होने पर गहरी चिंता व्यक्त की।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” का नारा केवल कागज और विज्ञापन तक ही सीमित- जया मजूमदार
पूरबी घोष ने पोश अधिनियम तथा जस्टिस वर्मा समिति की सिफारिशों को लागू करना, आंतरिक शिकायत समिति की प्रावधान का सख्त कार्यान्वयन सुनिश्चित करने की मांगों को रेखांकित करते हुए सरकार से निर्भया फंड में आवंटन बढ़ाए जाने के लिए आग्रह किया। शर्मिला ठाकुर ने समाज के प्रगतिशील तबके से अपील की, कि सौंपे गए मांगों के चार्टर के प्रति महिलाओं के सभी वर्गों को व्यापक रूप से जागरूक किया जाए। महिलाओं के लिए आर्थिक स्वावलंबन सुनिश्चित करने की मांगों पर जोर देते हुए जया मजूमदार ने बताया “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” का नारा केवल कागज और विज्ञापन तक ही सीमित होकर रह गया है।
…तब तक महिलाओं की स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं
पानमोनी किस्कु ने कहा कि जब तक नीति में परिवर्तन कर सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक समानता सुनिश्चित नहीं की जायेगी, तब तक महिलाओं की स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होगा। उन्होंने महिलाओं के काम को मान्यता प्रदान करते हुए , GDP में महिलाओं के अवैतनिक और कम भुगतान वाले कार्यों को शामिल करना तथा महिलाओं के अवैतनिक कार्य को कम करने के लिए विशिष्ट उपाय सुनिश्चित करने की मांगों को दोहराया ।
पुष्पलता ने सभी क्षेत्रों में महिलाओं के लिए समान कार्य के लिए समान वेतन, सभी स्कीम वर्कर को कामगारों/कर्मचारियों के रूप में नियमित करना ; न्यूनतम वेतन का भुगतान करना, सामाजिक सुरक्षा एवं सुप्रीम सुनिश्चित करने की मांगों को दोहराया।
इस अवसर पर मिठू भट्टाचार्य, तापोशी देवी, मोनी कुमारी, मंजू शर्मा सहित अन्य महिला नेत्री भी उपस्थित थीं।
मांगों का चार्टर
1) महिलाओं के काम को मान्यता प्रदान करते हुए , GDP में महिलाओं के अवैतनिक और कम भुगतान वाले कार्यों को शामिल करना तथा महिलाओं के अवैतनिक कार्य को कम करने के लिए विशिष्ट उपाय किया जाए ।
2) सभी क्षेत्रों में महिलाओं के लिए समान कार्य के लिए समान वेतन सुनिश्चित किया जाए ।
3) सभी कार्यस्थलों, शिक्षण संस्थानों और खेल संघों में POSH अधिनियम का सख्ती से कार्यान्वयन तथा सभी संस्थानों में आंतरिक शिकायत समिति – (महिला) [ICC-Women] का गठन सुनिश्चित किया जाए ।
4) महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए प्रभावी उपाय , जस्टिस वर्मा समिति की सिफारिशों को लागू करना तथा निर्भया फंड के लिए आवंटन बढ़ाया जाना सुनिश्चित किया जाए ।
5) घरेलू हिंसा के पीड़ितों के लिए आश्रय और आर्थिक सहायता की वैकल्पिक व्यवस्था किया जाए , ऑनर किलिंग के खिलाफ कानून बनाया जाए ।
6) सभी स्कीम वर्कर को कामगारों/कर्मचारियों के रूप में नियमित करना ; न्यूनतम वेतन का भुगतान करना तथा 45वें ILC की सिफारिशों के अनुसार सामाजिक सुरक्षा एवं सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार ग्रेच्युटी का भुगतान सुनिश्चित किया जाए ।
7) संयुक्त पट्टों के लिए सभी कानूनों में संशोधन लागू करने के लिए कानूनी उपाय और महिलाओं के समान भूमि अधिकार सुनिश्चित किया जाए । विधवाओं, परित्यक्त, और अकेली महिलाओं सहित महिला मुखिया वाले परिवारों को विशेष प्राथमिकता दिया जाए ।
8) महिलाओं के लिए अधिक रोजगार के अवसर सृजित करना तथा महिलाओं, SHG और DWACRA समूहों को Collateral और ब्याज मुक्त ऋण तथा Micro Finance Institution द्वारा उत्पीड़न बंद सुनिश्चित किया जाए । नौकरी खोने के स्थिति में आय सहायता के लिए विशेष योजनाएँ शुरू किया जाए ।
9) समय पर मजदूरी भुगतान के साथ मनरेगा में 600 रुपये प्रतिदिन की दर से मजदूरी एवं 200 दिन का काम सुनिश्चित किया जाए । शहरी क्षेत्रों के लिए शहरी रोजगार गारंटी अधिनियम लागू किया जाए ।
10) सभी किसानों और कृषि श्रमिकों के परिवारों को पूर्ण ऋण माफी और बढ़ी हुई पेंशन तथा सभी सरकारी योजनाओं के लिए महिला किसानों को पात्र बनाया जाना सुनिश्चित किया जाए ।
11) ट्रांसजेंडर और LGBTQ+ के अधिकारों को सुनिश्चित करना तथा उनके खिलाफ भेदभाव और सामाजिक कलंक को समाप्त करने के लिए ठोस उपाय किया जाए ।
12) संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33% आरक्षण देने के लिए जल्द से जल्द कानून बनाया जाए।
13) सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं ,आवास, स्वच्छ पानी , वृद्धावस्था पेंशन आदि की व्यवस्था सुनिश्चित किया जाए ।
14) छात्राओं के ड्रॉप आउट को रोकने और उनके लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं विशेष छात्रवृत्ति सुनिश्चित करने के लिए, शिक्षा मद में सकल घरेलू उत्पाद के 6% के बराबर आवंटन सुनिश्चित किया जाए । शिक्षा व्यवस्था के निजीकरण का मार्ग प्रशस्त करने वाले नई शिक्षा नीति 2020 को रद्द किया जाए ।
15) मूल्य वृद्धि पर रोक के लिए, रसोई गैस और अन्य पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में की गई वृद्धि को वापस लेना, सभी जरूरतमंदों के लिए , सब्सिडी वाली रसोई गैस, PDS के माध्यम से प्रति माह, प्रति व्यक्ति 10 किग्रा मुफ्त राशन और अनुदानित दर में सभी आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाए। पीडीएस और पेंशन की सुविधा प्राप्त करने की पात्रता के लिए आधार कार्ड, बायोमैट्रिक मशीन की अनिवार्यता समाप्त किया जाए ।
16) आयकर नहीं देने वाले सभी परिवारों को प्रति माह 7500 रुपये की आय सहायता सुनिश्चित किया जाए ।
17)चार लेबर कोड और बिजली संशोधन विधेयक वापस किया जाए । न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा सहित श्रम कानूनों को लागू किया जाए । कानूनी रूप से गारंटीकृत MSP (@ C2+50%) की दर से सभी फसलों की खरीद सुनिश्चित किया जाए ।
18) सार्वजनिक उपक्रमों और सेवाओं के निजीकरण के माध्यम से देश की आर्थिक स्वावलंबन और संप्रभुता को खतरे में डालने के प्रयास पर रोक लगाया जाए ।
19) नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों को सुनिश्चित करने की दिशा में, UAPA , राजद्रोह आदि जैसे कठोर कानूनों को रद्द किया जाए तथा सरकार की नीतियों से असहमत होने के कारण गलत तरीके से जेल में डाले गए सभी नागरिकों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों को रिहा किया जाए ।
20) राष्ट्रीय एकता , अखंडता और धर्मनिरपेक्षता सुनिश्चित करने के लिए , विभाजनकारी ताकतों ,जातिवाद, सांप्रदायिकता और नफरत की राजनीति के खिलाफ कड़े कदम सुनिश्चित किया जाए ।
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शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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