लीज पर करीब 20 छोटे-बड़े तालाब में साझे पर कर रहे मछली पालन, सरकार के राजस्व में भी हुई बढ़ोत्तरी
पोटका प्रखंड के बड़ापिचकवासा गांव के रहने वाले क्षितिज चंद्र कैवर्त पूरे जिले में मछली पालन के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम हैं । पारंपरिक रूप से खेती किसानी में ज्यादा आय नहीं होता देख उन्होने मछली पालन की ओर रूख किया जिसमें काफी सफल साबित हुए हैं । क्षितिज कैवर्त बताते हैं कि शुरूआत में 2 एकड़ के अपने धान के खेत में तालाब बनाकर मछली पालन शुरू किया, आज जिले के विभिन्न प्रखंडों के करीब 20 छोटे-बड़े तालाब मिलाकर 80 एकड़ में मछली पालन कर रहे हैं।
मत्स्य विभाग से बंदोबस्ती पर मिला तालाब, कारोबार का किया विस्तार
जिला मत्स्य पदाधिकारी अल्का पन्ना ने बताया कि मछलीपालन से जुड़ने की इच्छा जाहिर करने पर क्षितिज कैवर्त को विभाग द्वारा प्रशिक्षण दिलाने के साथ-साथ तालाब बन्दोबस्ती देकर लाभान्वित किया गया । अनुदान पर स्पॉन, फीड, जाल देकर मत्स्य बीज उत्पादक बनाया गया । क्षितिज कैवर्त की मछली पालक के रूप में किए गए परिश्रम से उनकी आर्थिक स्थिति तो मजबूत हुई ही सरकार के राजस्व में भी बढ़ोत्तरी हुई है। कैवर्त ने पोटका प्रखंड के अलावा हाल फिलहाल में चाकुलिया, बहरागोड़ा प्रखण्ड के साथ-साथ अन्य प्रखण्डों में भी अपने कारोबार का विस्तार किया है। सरकारी एंव निजी तालाब में साझे पर तकनीकी रूप से मछली पालन कर सालाना 3-4 लाख रू. का मुनाफा कमा रहे हैं ।
मछली पालन के लिए ट्रेनिंग लेना जरूरी
क्षितिज कैवर्त ने बताया कि अगर आप भी मछली पालन के कारोबार से जुड़ना चाहते हैं,तो इसके लिए ट्रेनिंग लेना बेहद जरूरी है । कृषि विज्ञान केंद्र या मत्स्य विभाग द्वारा दिए जाने वाले प्रशिक्षण से जुड़ सकते हैं । तालाब की गहराई का भी बराबर ध्यान रखना होगा, चार से पांच फीट की गहराई तालाब के लिए अच्छी मानी जाती है । क्षितिज कैवर्त ने छोटे स्तर पर मछली पालन की शुरुआत की लेकिन आज वे खुद मछली बीज उत्पादक हैं। मछली पालन को लेकर किसानों को मोटिवेट भी कर रहे हैं ।
फिशरिज स्कूल के बच्चे भी आते हैं ट्रेनिंग लेने
क्षितिज कैवर्त की मछलीपालक के रूप में सूझबूझ की तारीफ विशेषज्ञ भी करते हैं। तालाब पर प्रतिदिन जिंदा मछली बिक्री तकनीक से होने वाली आय को समझने तथा मछलीपालन से आय किस तरह से किया जा सकता है, कारोबार का विस्तार कैसे करना है इसकी जानकारी लेने फिशरिज स्कूल के बच्चे भी आते हैं। झारखण्ड के एकमात्र फिशरीज कॉलेज, गुमला के छात्र-छात्रायें तथा प्रोफेसर भी क्षेत्र भ्रमण के दौरान क्षितिज कैवर्त के कार्यों को देखने आते हैं, मछलीपालक के रूप में इनके कार्य की सराहना कॉलेज के प्रोफेसर भी करते हैं।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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