जुबिली पार्क की पहचान सिर्फ जमशेदपुर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अब देश-विदेश में भी इसके फूलों की खुशबू पहुंच गई है. जुबिली पार्क में एक से बढ़कर एक फूलों के पेड़ हैं. इनमें से कई फूलों के पेड़ तो जमशेदपुर में इकलौते हैं. 1958 में 122 एकड़ में स्थापित जुबिली पार्क टाटा समूह की ओर से जमशेदपुर को दिया गया एक खूबसूरत तोहफा है. इसका उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने किया था.
उनके द्वारा लगाया गया बरगद का पेड़ काफी विशाल हो चुका है. जहां तक प्रमुख फूलों के पौधों की बात है, यहां महोगनी, तैबुबुईया रोसिया, क्विकफिक्स ट्री, बोहेनिया, लेजर्स ट्रोमीया, मुरैया पैनिकुलेता, कैंडल ट्री, लेजिस्टरोमिया फ्लोरीबंडा, अकेशिया, कॉपरपॉड ट्री, रैटल पॉड ट्री, गेस्ट ट्री, प्राइड ऑफ इंडिया, ट्री ब्रिटिया, सीता, अशोक, अफ्रीकन ट्यूलिप, रेड पाउडर पफ और बुद्धआज कोकोनट जैसे यूनिक पेड़ हैं.
इनमें से अधिकांश पेड़ दक्षिण अमेरिकी और अफ्रीकन प्रजाति के हैं. उस वक्त इन्हें टाटा समूह के प्रमुख के प्रयास से विदेशों से मंगाया गया था. इनमें से कई पेड़ों की कतारें लगीं हैं. हैवन लोटस का एक ही पेड़ है यहां. गुस्ताविया अगस्ता या हैवन लोटस फूलों का ऐसा पेड़ है, जो जमशेदपुर में इकलौता है. दुनिया में सबसे खूबसूरत फूल में से एक इसी पर खिलते हैं। यह रात में खिलने वाला फूल है, जो सूर्योदय के बाद धीरे-धीरे मुरझा कर गिर जाता है. यह दक्षिण पूर्व एशिया मूल का पेड़ है. बाते जाता है कि वृंदावन व मुगल गार्डन को बनाने वाले ने ही जुबिली पार्क भी बनाया.
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