समरेश बसु द्वारा लिखित एवं शैलेन्द्र कुमार द्वारा निर्देशित संप्रदायिक दंगे पर आधारित है यह सामाजिक नाटक
समरेश बसु द्वारा लिखित एवं शैलेन्द्र कुमार द्वारा निर्देशित संप्रदायिक दंगे पर आधारित सामाजिक नाट्क “आदाब” का मंचन, सिदगोड़ा स्थित टेक्निकल प्रोफेशनल एसोसिएशन के पुस्तकालय में ‘निशान’ संस्था द्वारा नाटक का मंचन किया गया, जिसे काफी तादाद में लोगों ने देखा।
दो किरदारों के इर्द-गिर्द घूमती है सारी कहानी
यह नाटक दो व्यक्तियों पर आधारित है, जो कि दंगे के वक्त शहर के चौक में रखे एक कूड़ेदान में जाकर छुप जाते हैं और आपसी संवाद करने के दौरान उन्हें पता चलता है कि एक हिंदू (मज़दूर) तो दूसरा मुस्लिम (मल्लाह) संप्रदाय का व्यक्ति होता है। वे बातों बातों में अपने काम और दिनचर्या के बारे में बताते हैं। शहर में कर्फ्यू लगा होता है और इस दौरान किसी को भी देखे जाने पर गोली मार देने का आदेश है। दोनों लंबे समय तक कूड़ेदान में छुपे रहते हैं और फिर अचानक इसी दौरान गोली चलने की घटना होती है और मुस्लिम (मल्लाह) मौत हो जाती है। इन्हीं दोनों अभिनेताओं के इर्द-गिर्द सारी कहानी घूमती है।
चन्द स्वार्थी एवं सियासी लोगों को बेनक़ाब करता है नाटक ‘आदाब’
‘आदाब’ नाटक चन्द स्वार्थी एवं सियासी लोग शराफ़त का मुखौटा लगाये रक्षक के नाम पर भक्षक बने हुए हैं, उन्हें बेनक़ाब करता है। जो शासन के नाम पर शोषण करते हैं। गिद्ध के समान आँखे ज़हरीले एवं पैने पंजे इंसानियत के कोमल हृदय में धसा देते हैं। उनके हाथ ज़रा भी नहीं कापते, गिद्ध तो फिर भी मरे हुए जीवों का मास खाता है, लेकिन ये नरभक्षी, मानवरूपी भेड़िये इंसानी रक्त के प्यासे, इनकी लिप्सा की तृप्ति तभी होती है, जब इंसानियत लहु-लुहान हो जाता है। राम-रहीम मरने-मारने पर उतारू हो जाते हैं। एक दूसरे के खुन के प्यासे हो जाते हैं।
आखिर कब-तक इंसानियत लहु-लुहान होती रहेगी, कब तक धर्म के नाम पर, जाति के नाम पर राम-रहीम को लड़वाते रहेंगे। आखिर कब तक — ?
इन चंद सवालों का प्रतिबिंब है नाटक “आदाब”
पात्र का नाम – भूमिका
श्याम कुमार – मल्लाह
राजेश कुमार – मज़दूर
बबन शुक्ला, एस.एन. सिंह – मंच सज्जा
प्रदीप रजक – प्रकास व्यवस्था
शैलेन्द्र कुमार, सावन कुमार, प्रेम शर्मा – वेषभूषा एवं परिधान, संगीत
समरेश बसु – लेखन
शैलेन्द्र कुमार – परिकलपना एवं निर्देशन
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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