विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (आदिम जनजातियों) की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए पीएमपीवीटीजी विकास मिशन शुरू किया जाएगा। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने बजट भाषण में यह घोषणा की।
अगले तीन सालों में इस योजना को लागू करने के लिए 15 हजार करोड़ रुपए का कोष आवंटित किया गया है। इस योजना के तहत आदिम जनजाति परिवारों को स्थायी आजीविका, सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल, स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषण के साथ ही उनकी बस्तियों में सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। इससे देशभर के 75 आदिम जनजातियों के विकास का द्वार खुलेगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि इन्हें शिक्षा, तकनीक और स्वास्थ्य क्षेत्र में आगे लाने के लिए यह योजना शुरू की जा रही है। गौरतलब है कि सबसे ज्यादा 13 आदिम जनजातियां ओडिशा में तो 12 आंध्र प्रदेश में हैं। वहीं झारखंड में 9 आदिम जनजातियां-असुर, बिरहोर, बिरजिया, कोरवा, माल पहाड़िया, सौरिया पहाड़िया, कमारभाग पहाड़िया, परहिया और सबर हैं।
झारखंड महिला आयोग की पूर्व सदस्य डॉ. वासवी किड़ो ने कहा कि आदिम जनजातियों के लिए यह बड़ी घोषणा है। उन्होंने कहा कि अब सरकार को जनजातीय भाषाओं में भी पाठ्यक्रम तैयार करने होंगे, तभी आदिम जनजातियों को शिक्षा और तकनीक का लाभ मिल पाएगा।
झारखंड को 33,700 करोड़ मिल सकती है केंद्रीय करों में हिस्सेदारी, पिछले साल से 6700 करोड़ ज्यादा
झाारखंड को केंद्रीय करों में मिलने वाली हिस्सेदारी पिछले साल की तुलना में करीब 6700 करोड़ रुपए ज्यादा हो सकती है। केंद्रीय बजट के तहत अगले वित्त वर्ष 2023-24 में राज्य को करीब 33,700 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है।
चालू वित्तीय वर्ष में इस मद में 27,006 करोड़ रुपए राज्यांश मिलने का अनुमान लगाया गया था। वैसे पिछले कुछ सालों में राज्य को तय लक्ष्य के अनुरूप राज्यांश के पैसे नहीं मिले हैं। वर्ष 2015-16 से 2018-19 तक हर साल केंद्रीय करों की हिस्सेदारी मद से मिलने वाली राशि में 14 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो रही थी। लेकिन बाद में यह लगातार घटती चली गई।
वित्तीय वर्ष 2018-19 में 23,906 करोड़ रुपए मिले थे, जो 2019-20 में घटकर 20596 करोड़ हो गया। यानी एक साल में ही इसमें करीब साढ़े तीन हजार करोड़ की कटौती हो गई। उधर, राज्यों के लिए ब्याज रहित 50 वर्षों के केंद्रीय उधार अगले वर्ष के लिए भी दिए जाने की बजट घोषणा से झारखंड को 2646 रुपए और मिलने की संभावना है। यह राशि मिलने से राज्य में विकास को गति मिल सकती है।
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