झारखंड अलग राज्य आंदोलन के अग्रणी नेता रहे सूर्य सिंह बेसरा को जान का खतरा महसूस हो रहा है। सीएच एरिया स्थित निर्मल गेस्ट हाउस में शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कुड़मी को आदिवासी का दर्जा देने का समर्थन करने की वजह से मुझे धमकी मिल रही है। खरसावां के शहीद स्थल जाने से रोका जा रहा है। आदिवासी करार देते हुए पुतला जलाया जा रहा है। इन सब खतरों के बीच झारखंड सरकार ने मेरा अंगरक्षक हटा लिया है।
बेसरा ने कहा कि झारखंडियों के लिए अलग राज्य लड़ाई लड़ने वाला आदिवासी विरोधी कैसे हो सकता है, लेकिन आदिवासी-मूलवासी में दरार डालने वाली साजिश के तहत मेरी बातों का विरोध कर रहे हैं। यदि कुड़मी-महतो को ट्राइबल बना दिया जाए, तो यह ट्राइबल स्टेट घोषित हो सकता है।
राज्य में आदिवासियों की जनसंख्या 26 प्रतिशत
अभी राज्य में आदिवासियों की जनसंख्या 26 प्रतिशत है। इसमें 70 लाख कुड़मी-महतो जुड़ जाएंगे, तो हमारी ताकत बढ़ जाएगी। इस मौके पर पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो ने बेसरा की बातों का समर्थन करते हुए कहा कि इसमें गलत क्या है। अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई से लेकर अलग राज्य आंदोलन तक आदिवासी-कुड़मी साथ-साथ लड़े।
आंदोलनकारियों ने सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन हमें अलग-अलग कर दिया जाएगा। 1932 तक कुड़मी आदिम जनजाति या प्रीमिटिव ट्राइब में शामिल थे। इसके बाद हटा दिया गया। वहीं, बेसरा ने कहा कि यदि जनता कहेगी, तो मैं राजनीति से संन्यास ले लूंगा। भाजपा हो या झामुमो, किसी ने इस राज्य और यहां के आदिवासियों का भला नहीं किया। आदिवासी हित में पेसा कानून भी अधर में है। ऐसे में यहां की जनता को तीसरे विकल्प पर विचार करना चाहिए।
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