लद्दाख ने लद्दाखी नव वर्ष को चिह्नित करने के लिए लोसर महोत्सव मनाया। लोसर महोत्सव 24 दिसंबर 2022 को लद्दाख में मनाया जाता है। लोसर महोत्सव या लद्दाखी नव वर्ष सर्दियों के दौरान मनाया जाने वाला लद्दाख का एक प्रमुख सामाजिक-धार्मिक त्योहार है। लोसर महोत्सव नए साल से नौ दिनों तक चलेगा। लोग भगवान और देवी के नाम की पूजा अर्चना कर खुशियां मनाएंगे। वे आईबेक्स और कैलाश पर्वत की तीर्थयात्रा के सम्मान में नाचेंगे और गाएंगे। यह लद्दाख क्षेत्र में बौद्ध समुदाय द्वारा मनाया जाता है।
लोसर त्योहार की पूर्व संध्या भी दिवंगत प्रियजनों के लिए स्मारक भोजन प्रसाद के साथ मनाई जाती है। फेस्टिवल में लद्दाखी बौद्धजन घरेलू धार्मिक स्थलों पर या गोम्पा में अपने देवताओं को धार्मिक चढ़ावा चढ़ाकर खुश करते हैं। इसके अलावा इस महोत्सव में अलग-अलग तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम, पारंपरिक प्रदर्शनी और पुराने रीति-रिवाजों का भी प्रदर्शन किया जाता है।
कैसे मनाया जाता है लोसर फेस्टिवल
दस दिनों तक मनाए जाने वाले इस फेस्टिवल की शुरूआत मंदिरों और घरों में रोशनी के साथ होती है। चारों ओर रोशनी से पूरा लद्दाख जगमगा उठता है। पुरानी परंपरा के अनुसार लोग अपने परिवार के सदस्यों की कब्र पर जाते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। फेस्टिवल के तीसरे दिन चांद देखने का इतंजार करते हैं। फेस्टिवल में एक और चीज़ जो देखने वाली है वो है नृत्य और संगीत, जो संगीत प्रेमियों ही नहीं आम लोगों को भी अपनी ओर आकर्षित करता है। भारत में लोसर फेस्टिवल देश के अलग-अलग जगहों पर रहने वाले योल्मो, शेरपा, तमांग, गुरुंग, और भूटिया समुदायों द्वारा मनाया जाता है।
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