चांडिल अनुमंडल के कांदरबेड़ा में पेसा दिवस समारोह 24 को
24 दिसंबर को पेसा दिवस पर चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के कांदरबेड़ा स्थित रामसाई फुटबॉल मैदान में कोल्हान स्तरीय एक समारोह का आयोजन संयुक्त ग्राम सभा मंच द्वारा किया जाएगा, जिसमें पेसा एक्ट को अमल में लाते हुए ग्राम सभा को मज़बूत करने के लिए आवाज़ बुलंद की जाएगी. आज 20 दिसंबर को कांदरबेड़ा में मंच द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता में पत्रकारों से बातचीत करते हुए झारखण्ड आन्दोलनकारी मंच के केन्द्रीय सदस्य डेमका सोय ने कहा, कि झारखंड में तीन टर्म की पंचायती राज के पूरा होने के बावजूद राज्य में अबतक पेशा कानून की नियमावली नहीं बनना तथा शिड्यूल एरिया में नयी-नयी नगर पंचायतें, नगर निगम का गठन कर चुनाव कराने की कवायदें आदिवासी स्वशासन व्यवस्था को ध्वस्त करने की साज़िश का एक अहम हिस्सा है।
झारखंड राज्य में जल, जंगल, जमीन और झारखंडी पहचान की लड़ाई को कमजोर किया जा रहा है। झारखंड राज्य के नव निर्माण का सपना धराशायी हो गया है, परिणाम स्वरूप झारखंडी कंगाल और गुलामी का शिकार हो चुके हैं।
शहरी आदिवासी क्षेत्रों में पेसा के समान ‘मेसा’ का कानून बने, फिर हो चुनाव- डेमका सोय
उन्होंने कहा कि विकास के नाम पर झारखंड के जल, जंगल, जमीन की लूट चारों तरफ मची हुई है। झारखंड में औद्योगिकीकरण और शहरीकरण के आड़ में बाहरी अबादी को पांचवीं अनुसूची वाले जिलों में डम्पिंग करने की नीति चल रही है। झारखंड के अनुसूचित जिलों में बिना केन्द्र सरकार द्वारा शहरी आदिवासी क्षेत्रों में पेसा के समान ‘मेसा’ का कानून बनाए ही झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 के तहत नगरपालिका का गठन एवं चुनाव कराये जा रहे हैं जो कि घोर असंवैधानिक एवं संविधान के प्रावधानों का खुल्लम -खुल्ला उल्लंघन है।
….जबकि भूरिया कमिटी ने इस पर गंभीरता से पहले करने की अनुशंसा की है
संविधान की पांचवीं अनुसूची पंचायती राज अधिनियम और नगरपालिका अधिनियम से अलग कानूनों को आदिवासी बहुल क्षेत्रों और कस्बों के प्रशासन के लिए अनिवार्य करती है। संसद ने जनजातीय क्षेत्रों के लिए पंचायत विस्तार अनुसूचित क्षेत्र (पेसा) अधिनियम 1996 में अधिनियमित किया, लेकिन अबतक अनुसूचित क्षेत्रों के शहरी म्यूनिसिपल इलाकों के लिए ‘मेसा’ को संसद से पारित नहीं किया गया है, जबकि भूरिया कमिटी ने इस पर गंभीरता से पहले करने की अनुशंसा की है।
इस तरह बिना संसद द्वारा मेसा कानून बनाए राज्य के 49 नए नगर निगम, नगर पंचायत का गठन कर चुनाव कराने जा रहे हैं तथा पेसा के नियमावली को बिना ही पंचायत राज्य व्यवस्था को चलाया जा रहा है।
इनकी रही मौजूदगी
आज की प्रेस वार्ता में झारखंड आंदोलनकारी डेमका सोय के अलावे संयुक्त ग्राम सभा मंच के संयोजक अनूप महतो,संयुक्त ग्राम सभा मंच के संयोजक सुकलाल पहाड़िया, गुरुचरण सिंह सरदार, सत्यनारायण मुर्मू, विष्णु पोदो गोप आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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