शहर की सामाजिक संस्था नमन ने शहीदी दिवस पर महान क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल,अशफाक उल्ला खां और ठाकुर रोशन सिंह को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए नमन किया। गौरतलब है कि काकोरी कांड में 19 दिसम्बर 1927 को भारत माता के इन महान सपूतों को अंग्रेजों ने फांसी दे दी थी। इन महान क्रांतिकारियों की याद में 19 दिसम्बर को शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
युवाओं में देशभक्ति का अलख जगा रहे काले – राकेश्वर पांडे
आज के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि संस्था के मुख्य संरक्षक मजदूर नेता राकेश्वर पांडे ने कहा कि पूरे भारत में अगर आज शहीदों एवं क्रांतिकारियों को सम्मान दिया जा रहा है तो वह सिर्फ नमन संस्था की ओर से ही दिया जा रहा है एवं आज के युग में युवाओं के अंदर देशभक्ति का जोश जगाने वाले एकमात्र अमरप्रीत सिंह काले एवं नमन संस्था है।
राष्ट्र के लिए इन महान विभूतियों ने दिया सर्वोच्च बलिदान – बृजभूषण सिंह
नमन के संरक्षक वरिष्ठ पत्रकार बृजभूषण सिंह ने कहा, “ऐसी महान विभूतियों को जन्म देने वाली उस मां को मैं नमन करता हूं एवं उनके प्रति आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने ऐसे वीर सपूतों को जन्म दिया जोकि जनकल्याण के साथ-साथ इस भारत माता को गुलामी के जकड़न से आजाद किया। हंसते हंसते यह महान विभूतियां फांसी के तख्ते पर चढ़े हंसते-हंसते उन्होंने अपने शरीर पर गोलियां खाई सिर्फ और सिर्फ हमारे लिए ताकि हम बेहतर जीवन जी सके एवं भारत का कल्याण हो सके।
आज भी आजादी अधूरी : जयप्रकाश राय
वरिष्ठ पत्रकार जयप्रकाश राय ने कहा कि ऐसे महान विभूतियों जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया जब हम उन्हें याद करते हैं तो हमें हमेशा प्रेरणा मिलती है और आज भी कहीं ना कहीं हमें कई चीजों से सही मायने में आजादी नहीं मिली है।
इस कार्यक्रम का संचालन नमन के मुख्य संयोजक राजीव कुमार व धन्यवाद ज्ञापन रामकेवल मिश्रा द्वारा किया गया।
इनकी रही उपस्थिति
इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम के दौरान कुलविंदर सिंह पन्नू, जसवंत सिंह भोमा, इन्द्र सिंह, सतनाम सिंह, संतलाल पाठक, कैलाश झा, संदीप कुमार सिंह, मुन्ना सिंह, प्रमीला शर्मा, रीया मित्रा, मिष्टु सोना, आरती मुखी, काकुली मुखर्जी, लख्खी कौर, नीतू दुबे, डी मनी, रंजीता राय, नमीता उपाध्याय, संध्या रानी महतो, किरण सिंह, रेणु शर्मा, ममता पुष्टि, चंद्रा रानी, गौरी कुमारी, रीता कुमारी, शांति देवी, सुनीता देवी, संजू देवी, बिंदिया देवी, गीता मुखी, ज्योति, अनीता सिंह, डिंपल, शुक्ला हलदर, रानी, पप्पू राव, जूगुन पांडे, महेश मिश्रा, बिभाष मजुमदार, प्रिंस सिंह, टोनी सिंह, दीपक सिंह, मनीष सिंह, संतोष यादव, बिट्टू मिश्रा, दीपू, सुदेश मुखी, बिट्टू मुखी, सनोज चंद्रा,सोनू खान,अभय कुमार सिंह, सूरज साह, विनोद झा, आशुतोष बनर्जी, कार्तिक जुमानी, शुरू पात्रों, बिक्रम मुखी, धीरज चौधरी, विक्की तारवे, शुभम लाल, सरबजीत सिंह टोबी, सौरव चटर्जी, कौशिक प्रसाद, राहुल हरीपाल,पवन कुमार मिश्रा, कमलेश पाठक, प्रशनजीत एवं अन्य बड़ी संख्या में युवाओं एवं महिलाओं ने भागीदारी निभाई.
खुदीराम बोस जैसे महान बलिदानी को भुलाया नहीं जा सकता है – बृजभूषण सिंह
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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