‘आपकी योजनायें- अपनी योजनाओं को जानें’
किसानों की आय दोगुनी करने तथा कम लागत में ज्यादा मुनाफा किसानों को हो, इस उद्देश्य से जिला प्रशासन द्वारा किसानों को मछली पालन की योजना से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकार कई योजनाएं चला रही है, प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना इन्हीं योजनाओं में से एक है । जिले में मछली पालन करने की इच्छा रखने वाले किसान पीएम मत्स्य संपदा योजना से लाभ लेकर मछली पालन कर स्वरोगजार से जुड़ सकते हैं ।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) का सबसे बड़ा फायदा यह है कि योजना से लाभ लेकर मछली पालन करने पर किसानों को सब्सिडी का लाभ मिलता है। इस योजना के तहत अनुसूचित जनजाति/जाति एवं महिलाओं को योजना के तहत 60 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाती है, जबकि अन्य किसानों के लिए यह अनुदान 40 फीसदी है ।
जिला मत्स्य पदाधिकारी अलका पन्ना ने बताया कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य मछली उत्पादन एवं उत्पादकता में गुणात्मक अभिवृद्धि, मात्स्यिकी प्रबंधन हेतु नवीनतम तकनीकी सहायता, आवश्यक आधारभूत संरचनाओं का विकास, आधुनिकीकरण एवं सुदृढ़ीकरण हेतु सहायता उपलब्ध कराया जाना है।
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प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना अंतर्गत लाभुकों को 47 कार्यो के लिए स्वीकृत इकाई लगाने में सहायता प्रदान की जा रही है
प्रस्तावित कार्य/इकाई लागत (लाख रू. में)
1. कम से कम 10 टन क्षमता वाले शीत गृह (कोल्ड स्टोरेज)/आईस प्लांट निर्माण- 40.00 लाख रू.
2. आईस बॉक्स के साथ मोटरसाईकिल- 0.75 लाख रू.
3. छोटे आकार के आर.ए.एस. (रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम) इकाई की स्थापना (100 घनमीटर क्षमता का 01 टैंक)- 7.50 लाख रू.
4. 04 मी. व्यास एवं 1.5 मी. उंचाई के 7 टैंक वाले छोटे बायोफ्लॉक की स्थापना- 7.50 लाख रू.
5. बैकयॉर्ड सजावटी/रंगीन/अलंकारी मछलियों की रियरिंग इकाई- 3.00 लाख रू.
6. बड़े आकार के आर.ए.एस. (रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम) इकाई की स्थापना (कम से कम 90 घनमीटर क्षमता वाले 08 टैंक एवं 40 टन/कार्प मछली उत्पादन की क्षमता)- 50.00 लाख रू.
7. मध्यम आर.ए.एस. (रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम) इकाई की स्थापना (कम से कम 30 घनमीटर क्षमता वाले 06 टैंक एवं 10 टन/कार्प मछली उत्पादन की क्षमता)- 25.00 लाख रू.
8. 04 मी. व्यास एवं 1 मी. उंचाई के 25 टैंक वाले छोटे बायोफलॉक की स्थापना- 25.00 लाख रू.
9. नया तलाब का निर्माण- 7.00 लाख रू.
10. मिश्रित मत्स्य पालन, पंगेशियम एवं तिलापिया पालन आदि के लिए इनपुट (उपरोक्त अंकित नये ग्रो-आउट तालाबों के निर्माण में)- 4.00 लाख रू.
11. लघु फिश फीड मिल (प्रतिदिन 02 टन उत्पादन क्षमता)- 30.00 लाख रू.
योजना का लाभ लेने के लिए..
योजना का लाभ लेने के लिए अन्य विस्तृत जानकारी मत्स्य निदेशालय, झारखंड के वेबसाइट www.jharkhandfisheries.org पर उपलब्ध है, अथवा भारत सरकार, मात्स्यिकी, पशुपालन एवं गव्य विकास मंत्रालय के वेबसाइट (www.dof.gov.in) पर PMMSY Guidelines के रूप में भी उपलब्ध है। विशेष जानकारी के लिए इच्छुक आवेदक पूर्वी सिंहभूम जिला मत्स्य कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं, या *मोबाइल नंबर-9431355566 पर संपर्क कर सकते हैं।
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शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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