नशे को बढ़ावा देने वाले गानों पर रोक लगाने को केन्द्र ने दी FM Radio चैनलों को हिदायत
देश के एफएम रेडियो चैनल अब गाने बजाने में सावधानी बरतेंगे, क्योंकि केन्द्र से ऐसी हिदायत मिली है वे अब आगे से नशे को बढ़ावा देने वाले गाने नहीं बजा सकते। इसके अलावे ऐसी कोई अन्य सामग्री चलाने से पहले सौ बार सोचना होगा, जिनमें नशे के सेवन को बढ़ावा मिलता हो। केंद्र सरकार ने रेडियो चैनलों को ऐसे गाने चलाने से आगाह किया है जो शराब, ड्रग्स, गन कल्चर समेत आसामाजिक गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं।
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नशे को बढ़ावा देने वाली किसी भी सामग्री पर प्रतिबंध
एफएम रेडियो चैनलों के लिए सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय के ओर से जारी एक एडवाइजरी में कड़े निर्देश दिए गए हैं कि, वे ग्रांट ऑफ परमिशन एग्रीमेंट (जीओपीए) और माइग्रेशन ग्रांट ऑफ परमिशन एग्रीमेंट (एमजीओपीए) में निर्धारित नियमों और शर्तों का सख्ती से पालन करें। साथ ही यह भी निर्देश है कि ऐसी किसी भी सामग्री का प्रसारण न करें, जिससे नियमों का उल्लंघन हो।
उल्लंघन करने पर निर्धारित नियमों और शर्तों के अनुसार दंडात्मक कार्रवाई
एडवाइजरी में कहा गया है कि किसी भी तरह का उल्लंघन करने पर GOPA/MGOPA में निर्धारित नियमों और शर्तों के अनुसार दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। ज्ञात हो कि मंत्रालय के सामने कुछ ऐसे मामले सामने आए, जिनमें कुछ एफएम रेडियो चैनलों द्वारा शराब, ड्रग्स, हथियार, गैंगस्टर और गन कल्चर का महिमामंडन करने वाले गाने या प्रसारण-सामग्री चलाई गई, जिसके कारण केंद्र सरकार की ओर से यह एडवाइजरी जारी की गई है।
ऐसी सामग्री बच्चों को बुरी तरह से प्रभावित करती है
एक अन्य मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने न्यायिक नोट लिया था कि शराब, ड्रग्स और गन कल्चर को बढ़ावा देने वाली सामग्री बच्चों को बुरी तरह से प्रभावित करती है, जिससे उनकी मानसिक स्थिति भी प्रभावित होती है। साथ ही बताया जा रहा है कि, ऐसी सामग्री आकाशवाणी कार्यक्रम संहिता का उल्लंघन करती है और केंद्र को अनुमति के निलंबन और प्रसारण पर रोक लगाने के लिए प्रतिबंध लगाने का अधिकार है।
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शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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