रांची: प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल का तमगा लगे रिम्स के एक और अव्यवस्था का कारनामा चर्चा का विषय बना हुआ है। जहां खबर है कि पहले तो महिला मरीज को मृतक बता दिया। बॉडी कैरिंग सर्टिफिकेट भी परिजनों को दे दिया गया लेकिन मरीज की सांसे चल रही थी। मृतक के परिजनों का आरोप है कि मरने से तकरीबन 7 घंटा पहले उन्हें बॉडी कैरिंग सर्टिफिकेट दिया गया लेकिन मरीज के साथ चल रही थी। शाम 4:00 बजे इलाज के अभाव है उसकी मौत हो गई। इस तकरीबन 7 घंटा के दौरान रिम्स प्रबंधन अपनी नाकामी और लापरवाही को छुपाने में व्यस्त रहा। यदि इस लापरवाही की जगह मरीज के इलाज पर ध्यान दिया जाता तो उसकी जान बच सकती थी।
मरीज के पति दिनेश साव के मुताबिक सुबह में मरीज को स्थिर बताया और थोड़ी ही देर में मृत बताकर डेड बॉडी कैरिंग सर्टिफिकेट दे दिया गया। फिर डॉक्टरों ने धड़कनें चलने की बात कहीं और शाम में दोबारा मृत बता दिया। हजारीबाग के सिरका की 36 वर्षीया अंशु देवी को पित्त की थैली में पथरी की शिकायत पर रिम्स के सर्जरी विभाग में भर्ती किया गया था। वह यहां आईसीयू में वेंटिलेटर पर थी।
रिम्स के रिकॉर्ड के अनुसार उन्हें पहले से ही हार्ट से जुड़ी परेशानी भी थी। परिजनों का आरोप है कि जब मरीज को मृत बताकर उन्हें 9.15 बजे कैरिंग सर्टिफिकेट दिया गया तब उन्होंने देखा कि सांसें चल रही हैं। रेजीडेंट डॉक्टरों ने भी सांस चलने की बात स्वीकारी। इसके बाद 7.25 घंटे तक मरीज का इलाज किया गया। फिर शाम 4:30 बजे उसे मृत घोषित कर दिया गया। पहले दिए बॉडी कैरिंग सर्टिफिकेट में ही समय बदल कर 4.30 बजे करते हुए दोबारा इसे दे दिया गया।
रिम्स के पीआरओ डॉ राजीव रंजन का कहना है कि इलाज करने वाले डॉक्टर ने मरीज को देखकर मौखिक रूप से मृत होने की सूचना दे दी थी। लेकिन ईसीजी जांच करने के बाद शाम को मृत होने की घोषणा की गई। तब बॉडी कैरिंग सर्टिफिकेट दिया गया। पर, परिजनों ने इस दौरान कई लापरवाहियां उजागर की हैं और इसे ही मौत का कारण बताया। परिजनों ने बताया कि पहली बार मृत घोषित के बाद भी 7.25 घंटे मरीज बेड पर रहीं। इस दौरान न तो जांच हुई और न ही दवाइयां चलीं। रेजीडेंट डॉक्टरों ने कहा था कि ईसीजी और इको करेंगे, पर क्यों नहीं की?
परिजनों ने इलाज में लापरवाही का लगाया आरोप
परिजनों ने लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि महिला को बेहतर इलाज नहीं मिला। पहली बार मृत घोषित किए जाने के बाद इलाज की जगह गलतियां छुपाने में लगे रहे। पहली बार मृत घोषित करने के बाद बॉडी कैरिंग सर्टिफिकेट जारी किया। दूसरी बार मृत घोषित किए जाने के बाद भी बॉडी कैरिंग सर्टिफिकेट जारी किया। पुराने सर्टिफिकेट में ही डेट बदल दिया गया। पहली बार मौत की घोषणा होने पर सुबह 915 बजे बॉडी कैरिंग सर्टिफिकेट जारी किया गया। फिर 725 घंटे बाद दूसरी बार जब मृत बताया तो फिर सर्टिफिकेट में समय बदलकर परिजनों को देकर मामले को रफा-दफा करने का प्रयास किया गया।
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