जिले के सरकारी स्कूलाें में शुक्रवार काे टीचर पैरेंट्स मीट का आयाेजन किया गया। इसमें बच्चाें के साथ अभिभावक भी पहुंचे। इस दाैरान उन्हाेंने बच्चाें से जुड़ी बहुत सी मांगें रखीं। शिक्षकाें ने भी बच्चाें काे अनुशासन में रखने और उन पर ध्यान देने के लिए कहा। उन्होंने अभिभावकों से कहा कि बच्चा हाेम वर्क करे यह जरूर चेक करें। कई अभिभावकाें ने बच्चाें के स्वेटर खरीदने के लिए राशि की मांग उठा दी।
स्वेटर खरीदने के लिए पैसे नहीं
अभिभावकों का कहना था कि ठंड का माैसम शुरू हाे गया है। ठंड बढ़ रही है लेकिन उनके पास स्वेटर खरीदने के पैसे नहीं हैं। इसलिए बच्चे बिना स्वेटर के ही स्कूल जाने काे मजबूर हैं। इस पर शिक्षकों ने कहा कि सरकार ने हर बच्चे काे दाे सेट पाेशाक, जूता-माेजा और स्वेटर खरीदने के लिए 600-600 रुपए की राशि दी थी तो उन्हाेंने स्वेटर क्याें नहीं खरीदे। इस पर अभिभावकाें का कहना है कि यह राशि दाे सेट पाेशाक और जूता-माेजा खरीदने में ही कम पड़ गई। अब इतने पैसे नहीं हैं कि तत्काल स्वेटर खरीद सकें। बच्चाें ने बताया कि सुबह ठंड लगती है लेकिन उनके पास स्वेटर नहीं हाेने की वजह से सिर्फ स्कूल ड्रेस पहन कर ही आते हैं।
स्थित यह है कि अभी अधिकतर सरकारी स्कूलाें में 70 प्रतिशत से अधिक बच्चे बिना स्वेटर के ही आ रहे हैं। जाे बच्चे स्वेटर पहन रहे हैं उनके अभिभावकाें ने अपने पैसों से स्वेटर खरीदे हैं।
स्कूल काे अधिक से अधिक सुरक्षित बनाने पर बनी सहमति
राजेंद्र मध्य विद्यालय बागबेड़ा, जमशेदपुर-2 मे पीटीएम का आयोजन किया गया। इसमें अतिथि के रूप में बागबेड़ा मध्य पंचायत की मुखिया उमा मुंडा, बागबेड़ा कॉलोनी पंचायत समिति सदस्य सुनील गुप्ता और वार्ड सदस्य शैलेंद्र कुमार उपस्थित थे। माैके पर बच्चाें के अभिभावक, शिक्षक-शिक्षिकाएं एवं बाल संसद की प्रधानमंत्री उपस्थित थीं। बैठक में बच्चों की नियमित उपस्थिति और ठहराव पर चर्चा की गई। नामांकन बढ़ाने, विद्यालय को और आगे बढ़ाने तथा इसे सुरक्षित बनाने पर जोर दिया गया। अभिभावकों की ओर से शिकायत सत्र रखा गया, जिसमें अभिभावकों ने भी अपने बच्चों से संबंधित समस्याओं और समाधान पर चर्चा की।
पाेशाक की राशि बढ़ाने का किया था वादा
झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष अरुण कुमार सिंह ने बताया कि पिछले साल सरकार ने पाेशाक की राशि बढ़ाने की बात कही थी। लेकिन अभी तक राशि नहीं बढ़ी। जाे राशि बच्चाें काे दी जा रही है वह इतनी नहीं है कि उसमें दाे सेट ड्रेस के अलावा स्वेटर और जूता-माेजा खरीदा जा सके।
जब राशि दी गई थी तब गर्मी का माैसम था। इसलिए उससे अभिभावकाें ने अपने बच्चाें के लिए पाेशाक और जूते-मोजे खरीद लिए। अब जब ठंड आई है ताे स्वेटर खरीद के लिए उनके पास पैसे नहीं हैं। ऐसे में अधिकतर बच्चे बिना स्वेटर के ही स्कूल आ रहे हैं।
विभाग ने हर बच्चे काे पाेशाक के लिए राशि उपलब्ध करा दी थी। पाेशाक के साथ ही जूता-माेजा और स्वेटर खरीदना था। अगर अभिभावकाें ने स्वेटर नहीं खरीदा है ताे यह उनकी गलती है।
– पंजक कुमार एडीपीओ, पूर्वी सिंहभूम
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