आज 26/11 मुंबई हमले की बरसी है I 14 साल पहले देश की आर्थिक राजधानी मुंबई आतंकी हमले की जिस पीड़ा से गुजरी, आज भी उसकी याद सिहरन पैदा करती है I लेकिन जिस तरह से हमारे जांबाज सुरक्षाकर्मियों ने आतंकी करतूत का मुंहतोड़ जवाब दिया, उससे मन को ये राहत मिलती है कि हम सुरक्षित हाथों में हैं I हम भरोसा कर सकते हैं कि देश में जब-जब आतंक मुंह उठाएगा, उसे परास्त किया जाएगा. मुंबई हमले के दिन से आज उसकी 14वीं बरसी तक भारत ने आतंकवाद से लड़ने के लिए क्या कोशिशें कीं, क्या-क्या कदम उठाए, यह जानना जरूरी है I
मुंबई हमले के बाद भारत सरकार ने आतंकवाद विरोधी सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने के लिए कई साहसिक कदम उठाए I उस आतंकी हमले के चार दिनों के दौरान जो सुरक्षा खामियां सामने आई थीं, उन पर काम हुआI 26/11 की उस आतंकी वारदात के कुछ दिन बाद तत्कालीन मनमोहन सरकार में कांग्रेस नेता पी चिदंबरम केंद्रीय गृह मंत्री बनाए गए थे I तब उन्होंने आंतरिक सुरक्षा तंत्र के कायापलट के लिए एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम शुरू किया था I
सागर प्रहरी बल (SPB) की स्थापना
दरअसल, आतंकी समंदर के रास्ते मुंबई पहुंचे थे, इससे तटीय शहरों की रक्षा खामियां उजागर हुई थीं. इसके बाद सरकार ने भारत के तटीय और समुद्री सुरक्षा प्रबंधन में अहम बदलाव किया I मार्च 2009 में भारत की विशाल तटरेखा पर बेहतर चौकसी के लिए सागर प्रहरी बल (SPB) की स्थापना की गई और फास्ट इंटरसेप्टर क्राफ्ट्स (FIC) (नावों) को उतारा गया I इससे पहले नौसेना के पास ऐसी स्पेशल यूनिट नहीं थी जो 24 घंटे समंदर में पेट्रोलिंग करे I सागर प्रहरी बल अब उस काम को बखूबी करता है I
नौसेना और तटरक्षक बल के प्रयास
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 26/11 हमले के बाद से नवंबर 2021 तक, महाराष्ट्र में भारतीय तट रक्षक ने अधिकारियों के साथ 300 से ज्यादा तटीय सुरक्षा अभ्यास किए I 2018 में समुद्री निगरानी और व्यापक तटीय रक्षा अभ्यास की कल्पना की गई थी, जो 2019 में हकीकत बनी I तब से भारतीय नौसेना तट रक्षक और समुद्री गतिविधियों के कार्यों में शामिल एजेंसियों के साथ मिलकर कर अभ्यास चला रही है I
NIA कानून पारित हुआ
मुंबई आतंकी हमले के बाद आतंकवाद संबंधी मामलों की जांच करने वाली एक सशक्त एजेंसी अस्तित्व में आई. सरकार ने राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण अधिनियम-2008 पारित कर जांच एजेंसी बनाई जिसे एनआईए (NIA) के रूप में हम जानते हैं Iयह एजेंसी अमेरिका के एफबीआई के समकक्ष है. सार्वदेशिक यानी यूनिवर्सल होने के कारण एनआईए, सीबीआई से ज्यादा सशक्त है I
एनआईए के पास देश की सुरक्षा, संप्रभुता और अखंडता को खतरा पहुंचाने वाली आतंकी गतिविधियों की जांच और मुकदमा चलाने का अधिकार है I एजेंसी आतंकी गतिविधियों का स्वतः संज्ञान लेकर मामला दर्ज कर सकती है I यह किसी राज्य सरकार की इजाजत के बिना वहां प्रवेश कर सकती है और जांच और गिरफ्तारी कर सकती है I
FBI-MI6 से खुफिया सूचनाओं का आदान-प्रदान कहीं बेहतर हुआ
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब मुंबई पुलिस इस स्तर के आतंकी हमले से निपटने के लिए बेहतर तरीके से तैयार है I मुंबई ने अपने सिस्टम, ट्रेनिंग और हथियारों में सुधार किया है और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ उसका तालमेल बेहतर हुआ है I
FBI और MI6 जैसी प्रमुख पश्चिमी एजेंसियों के साथ भारत का खुफिया जानकारियों का आदान-प्रदान 2008 के मुकाबले कहीं बेहतर हुआ है Iभारत इन एजेंसियों से समय पर कार्रवाई योग्य खुफिया जानकारी जुटाने की उम्मीद कर सकता है और आतंकी मंसूबों को नाकाम कर सकता है I आतंकी हमलों पर त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न राज्यों में राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) हब स्थापित किए गए हैं I
पाकिस्तानी आतंकियों के खिलाफ सिस्टम मजबूत
पाकिस्तान से इंटरनेट की जरिये चलाए जाने वाले धार्मिक कट्टरता के नेटवर्क पर भी खुफिया एजेंसियों ने प्रहार किया है I इंटरनेट पर एजेंसियों ने ऐसा सिस्टम विकसित किया है जो एक प्रकार से आतंकी संगठनों की नाकेबंदी जैसा है I सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के बीच आपसी संवाद और सूचना तंत्र मजबूत किया गया है I
एनएसजी के डीजी को मिला ये खास अधिकार
मुंबई हमले के दौरान एक खामी सामने आई थी कि एनएसजी कमांडो को आठ घंटे तक विमान नहीं मिला था Iएनएसजी के पूर्व निदेशक जेके दत्त ने मीडिया को बताया था कि उस समय बतौर एनएसजी महानिदेशक उनके पास विमान अधिग्रहित करने का अधिकार नहीं था I अब ऐसा नहीं है Iएनएसजी के डीजी को यह अधिकार मिल चुका है कि वह हालात के मद्देनजर भारत में रजिस्टर्ड किसी भी ऑपरेटर से विमान ले सकें I
सरकार ने तत्काल फैसला लेने का भी सिस्टम विकसित किया है. दरअसल, संकट के समय विभागों की मजूंरी का इंतजार नहीं किया जा सकता है I इन उपायों के अलावा सुरक्षाकर्मियों और बलों को लगातार आधुनिक हथियारों और उपकरणों से लैस किया जा रहा है I इन 14 वर्षों में कई ऐसे मौके आए जब समय रहते संदिग्धों को दबोच लिया गया और आतंकी मंसूबों पर पानी फेर दिया गया I
वह काली रात जब देश में घुसे आतंकवादी
26 नवंबर 2008 की रात पाकिस्तान के कराची से आतंकी संगठन लश्कर-ए-तएबा के 10 आतंकवादी कोलाबा के समुद्री तट से एक नाव के जरिए भारत में घुसे। समुंदर के रास्ते ही उन्होंने मुंबई में एंट्री की। इंडियन नेवी को चकमा देने के लिए आतंकियों ने रास्ते में एक भारतीय नाव को अगवा किया और उसमें सवार सभी लोगों को मार दिया। आतंकी पूरी तरह से हथियारों से लैस थे और हुलिया भी ऐसी बना रखा था कि कोई उन्हें पहचान न पाए। हालांकि कोलाबा के कुछ स्थानीय लोगों को उनपर कुछ शक हुआ जिसके बाद उन्होंने पुलिस को सूचना दी, लेकिन पुलिस ने उसे हल्के में ले लिया। इसके कुछ ही देर बाद शहर से हर न्यूज़ चैनल पर हमले की रिपोर्ट आनी शुरू हो गई। शुरू में इसे गैंगवॉर बताया गया था लेकिन जल्दी ही यह स्पष्ट हो गया कि यह एक आतंकवादी हमला है।
दो-दो के ग्रुप में जाकर इन जगहों पर किया हमला
मुंबई में घुसने के बाद सभी आतंकवादी 2-2 के ग्रुप में बंट गए। उनमें से 2 ट्राइडेंट में घुसते हैं, दो ताज में घुसते हैं और 4 नरीमन हाउस में प्रवेश करते हैं। कसाब और उसका साथी CSMT को निशाना बनाते हुए वहां फायरिंग शुरू कर दी। इस जगह पर कम से कम 58 लोग मारे गए और 100 से भी ज्यादा लोग घायल हुए।
उसके बाद कसाब और इस्माइल खान कामा अस्पताल को अपना निशाना बनाते हैं। रास्ते में वह 6 पुलिसकर्मियों पर हमला करते हैं जिनमें अशोक कामटे, विजय सालस्कर और मुंबई (ATS) के प्रमुख हेमंत करकरे शामिल थे। हेमंत करकरे की इस हमले में जान भी चली गई थी। फिर दोनों आतंकी पुलिस की जीप लेकर भाग जाते हैं। दोनों तरफ से चल रही गोलीबारी में कमा खान मारा जाता है और अजमल कसाब को हिरासत में ले लिया जाता है। वहीं ड्यूटी के दौरान तुकाराम ओंबले की मौत हो जाती है।
27 नवंबर 2008, कमांडोज ने अपने हाथ में कंट्रोल लिया
होटल ताज, ओबराय ट्राइडेंट और नरीमन हाउस को लेना के जवान और NSG कमांडोज ने चारो तरफ से घेर लिया। फिर ऑपरेशन ब्लैक टोर्नाडो लॉन्च किया गया। NSG कमांडोज ने सभी आतंकियों को मार गिराया। 28 नवंबर को NSG कमांडोज ने ट्राइडेंट और नरीमन हाउस का ऑपरेशन खत्म किया। 29 नवंबर को NSG कमांडोज ने हमलों को खत्म करते हुए होटल ताज की सुरक्षा की और उनकी इस बहादुरी के चलते देश पर आया यह संकट टल गया।
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