14 सितंबर को हेमंत सरकार ने कैबिनेट से 1932 के खतियान पर आधारित पॉलिसी को मंजूरी दे दी. इसके बाद 11 नवंबर को विधानसभा के विशेष सत्र में यह विधेयक पास करा लिया गया. नाम दिया गया ‘परिणामी सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य लाभों को ऐसे स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने के लिए अधिनियम- 2022’. अब इस विधेयक को राज्यपाल के पास भेजा जाएगा. राज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद यूं तो सामान्य विधेयक कानून का रूप ले लेते हैं, लेकिन इस विधेयक को राज्यपाल के आगे भी कई पड़ावों से गुजरना है.
आधारित स्थानीय नीति लागू कर झारखंड के लोगों को सम्मान दिया है.
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काफी दिनों से यहां के स्थानीय लोगों को उनका अधिकार नहीं मिल रहा था, इसलिए पहली बहाली की शुरुआत उनके विभाग से होगी. इस बयान का मतलब अह यह निकाला जा रहा है कि जब 1932 खतियान वाला बिल लोकसभा और राज्यसभा से पारित हो जाएगा. नौंवी अनुसूची में शामिल हो जाएगा. तो बहाली की प्रक्रिया पूरी होगी. जिसमें अभी काफी वक्त लगने की बात जगजाहिर है. ऐसे में क्या जगरनाथ महतो बहाली निकालने की बात कर रहे हैं या बहाली को टालने की, इसपर चर्चा जोरों पर है.
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