एमजीएम अस्पताल के जर्जर वार्ड, शौचालय और भवनों की मरम्मत पर एक भी रुपये खर्च नहीं होंगे, क्योंकि अगले छह माह में अस्पताल का पुराना भवन टूट जाएगा। इसलिए मरम्मत में पैसे बर्बाद नहीं होंगे। अस्पताल के मेडिसिन वार्ड का शौचालय काफी जर्जर है। बारिश के दिनों में शौचालय की छत से पानी टपकता है। पानी के रिसाव से दीवार में काई जम गई है और वह जर्जर हो गया है।
कई बार दीवार में करंट दौड़ने की बात सामने आ चुकी है। अस्पताल प्रबंधन ने इसकी मरम्मत कराने की सोची तो 32 लाख का इस्टीमेट विभाग ने बनाकर दिया। इतने पैसे मरम्मत के नाम खर्च करने में अस्पताल पीछे हट गया, क्योंकि छह माह में पुरानी बिल्डिंग टूट जाएगी और 4 अरब की लागत नए भवन का निर्माण होना है। इसलिए शौचालय की मरम्मत फिलहाल नहीं होगी। शौचालय के जर्जर होने से मरीज और उनके परिजनों को परेशानी होती है। दूसरी मंजिल पर उक्त शौचालय है। लेकिन उसके जर्जर होने के कारण मरीजों को दूसरे वार्ड के शौचालय या नीचे आकर कैंपस के शौचालय का उपयोग करना पड़ता है।
32 लाख खर्च कर शौचालय की मरम्मत का औचित्य नहीं
अधीक्षक डॉ. रवींद्र कुमार का कहना है कि 32 लाख खर्च कर शौचालय की मरम्मत का औचित्य नहीं है, क्योंकि उसे कुछ महीने में टूटना ही है। उधर, एमजीएम के बर्न वार्ड में बारिश के दिनों में पानी घुस जाता है। इंजीनियर की टीम ने वार्ड की जांच की तो पता चला कि बर्न यूनिट डाउन में बना है, इस कारण नाले के जरिए बारिश का पानी वार्डों में घुस जाता है। कई बार प्रयास के बाद भी बर्न वार्ड की हालत में सुधार नहीं हुआ। उसे जबतक तोड़कर नया नहीं बनाया जाएगा, तब तक सुधार नहीं होगा। नया बनाने में काफी खर्च लगेगा और छह माह में फिर तोड़ने की नौबत आ जाएगी। इस कारण बर्न यूनिट में भी मरम्मत के नाम पर बाथरूम के दरवाजे पर सीमेंट से चौखट को ऊंचा कर दिया गया है, ताकि पानी वार्ड में नहीं घुस सके।
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