सुप्रीम कोर्ट ने EWS आरक्षण मामले में आज अपना फैसला सुना दिया है. सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने EWS आरक्षण मामले पर फैसला दिया है. मामले की सुनवाई कर रहे 5 जजों में से तीन जजों ने EWS कोटा से आरक्षण के पक्ष में अपना फैसला दिया है. मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस माहेश्वरी ने कहा कि EWS कोटा से आरक्षण संविधान के खिलाफ नहीं’. ऐसे में अब ये तो साफ हो गया है कि देश में EWS कोटा से आरक्षण अभी जारी रहेगा. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के निर्णय पर मुहर लगा दी है.
सरकार ने किया था कानून का समर्थन
सरकार ने अदालत में इस कानून का समर्थन किया है। सरकार का कहना है कि इस कानून के जरिए गरीबों को आरक्षण का प्रावधान है। इससे संविधान का मूल ढांचा मजबूत होता है। वहीं, विरोध में दायर याचिकाओं में आर्थिक आधार पर आरक्षण को संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ बताते हुए रद्द करने की मांग की गई थी।
CJI यूयू ललित और जस्टिस रविंद्र भट्ट असमहत
जस्टिस रविंद्र भट्ट ने कहा कि संविधान में सामाजिक और राजनीतिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए आरक्षण की बात कही गई है. आर्थिक आधार पर आरक्षण की बात नहीं कही गई है। उन्होंने कहा कि आर्थिक रूप से पिछड़ों की सबसे ज्यादा संख्या ओबीसी और एससी-एसटी समुदाय के लोगों में ही हैं। ऐसे में इसके लिए अलग से आरक्षण दिए जाने की क्या जरूरत है.
जस्टिस रविंद्र ने EWS कोटे को संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताते हुए कहा कि यह आरक्षण कुछ वर्गों को बाहर करता है, जो भेदभावूर्ण है. उन्होंने 50 फीसदी की लिमिट पार करने को गलत बताते हुए कहा कि इस तरह तो समानता के अधिकार का अर्थ आरक्षण का अधिकार हो जाएगा.
चीफ जस्टिस यूयू ललित ने भी अपना फैसला सुनाया और कहा कि EWS आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए। एससी, एसटी और ओबीसी के गरीब लोगों को इससे बाहर करना भेदभाव दिखाता है। हमारा संविधान बहिष्कार की अनुमति नहीं देता है और ये संशोधन सामाजिक न्याय के ताने-बाने को कमजोर करता है। इस तरह ये बुनियादी ढांचे को कमजोर करता है। चीफ जस्टिस ने कहा कि आर्थिक आधार पर आरक्षण देना ठीक नहीं है।
EWS आरक्षण के पक्ष में 3 जज
जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण के पक्ष में अपनी सहमति जताई। उन्होंने कहा कि आर्थिक मानदंडों पर आरक्षण संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं करता है। उन्होंने कहा कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण समानता संहिता का उल्लंघन नहीं करता। जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने भी ईडब्ल्यूएस आरक्षण का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि वह जस्टिस माहेश्वरी के साथ सहमत हैं। सामान्य वर्ग में ईडब्ल्यूएस कोटा वैध और संवैधानिक है। जस्टिस जेबी पारदीवाला ने भी ईडब्ल्यूएस आरक्षण का समर्थन किया।
अब जानिए किन्हें मिलेगा EWS आरक्षण का फायदा
- ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट के लिए वह लोग आवेदन कर सकते हैं, जिनकी वार्षिक आय 8 लाख या उससे कम है। इसमें स्रोतों में सिर्फ सैलरी ही नहीं, कृषि, व्यवसाय और अन्य पेशे से मिलने वाली आय भी शामिल हैं।
- वहीं अगर कोई व्यक्ति गांव में रहता है। ऐसे में उसके पास पांच एकड़ से कम आवासीय भूमि होनी चाहिए, साथ ही 200 वर्ग मीटर से अधिक आवासीय जमीन नहीं होनी चाहिए।
- वहीं शहरों में रहने वाले लोगों के पास भी 200 वर्ग मीटर से अधिक आवासीय जमीन नहीं होनी चाहिए।
- EWS के पात्र के पास आरक्षण का दावा करने के लिए ‘आय और संपत्ति प्रमाण पत्र’होना जरूरी है। यह प्रमाण पत्र तहसीलदार या उससे ऊपर पद के राजपत्रित अधिकारी ही जारी करते हैं। इसकी वैधता एक साल तक ही रहती है।
- अगर आप ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करने जा रहे हैं। ऐसे में आपके पास पहचान पत्र, राशन कार्ड, स्वयं घोषित प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, आयु प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, मूल निवास प्रमाण पत्र, मोबाइल नंबर, पैन कार्ड और दूसरे दस्तावेजों की जरूरत होगी।
क्या है पूरा मामला?
आर्थिक गरीबी के आधार पर सामान्य वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जा सकता है या नहीं, सुप्रीम कोर्ट में आज इस मामले में फैसला सुनाया गया है. बता दें कि संविधान के 103वें संसोधन के जरिए इस आरक्षण को लाया गया था. साथ ही इस संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में उपबंध 6 को संशोधन एक्ट, 2019 से जोड़ा गया.
जिसके बाद इस आरक्षण को असंवैधानिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी थी. जिसपर सुनवाई ने आज अपना फैसला सुनाया. जिसके बाद ये तय हो गया कि EWS कोटा से देश में 10 फीसदी आरक्षण लागू रहेगा.
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