डेंगू के लगातार बढ़ रहे मामलों को देखकर लोग बहुत परेशान है. डेंगू के मरीज बिहार में सबसे ज्यादा है. आज से पटना समेत कई जिलों में रेलवे स्टेशनों पर कोराना जांच शुरू कर दिया गया है। हर स्तर पर सावधानी बरतने की जरूरत है ताकि डेंगू की परेशानी के बीच कोरोना की मार नहीं झेलना पड़े। एनएमसीएच, पटना के उपाधीक्षक और कोरोना के नोडल ऑफिसर रहे डॉ. अजय सिन्हा के अनुसार हालांकि बिहार में डेंगू के जो चार वेरिएंट पाए जा रहे हैं, उनमें यह वेरिएंट-1 माइल्ड किस्म का है, लेकिन बिहार में इसका अधिक प्रकोप है। इसका असर शरीर पर ज्यादा हो रहा है। उन्होंने कहा कि डेंगू के इस वेरिएंट से मौत के मामलों में कोई बढ़ोतरी नही हुई है, इसके बावजूद मरीज को इलाज के प्रति सतर्क रहने की जरूरत है।
डेंगू में बुखार से यदि अधिक कमजोरी हो तो कोरोना जांच अवश्य करा लेना चाहिए
विशेषज्ञ डॉक्टरों के अनुसार दोनों के लक्षण समान हैं। दोनों बीमारियों पीड़ित होने की स्थितियां और कारण भले हीं अलग हों। इसलिए डॉक्टर बताते हैं कि डेंगू में बुखार से यदि अधिक कमजोरी हो तो कोरोना जांच अवश्य करा लेना चाहिए। विशेषज्ञों के मुताबिक बिहार में अभी डेंगू के मौजूदा वेरिएंट-1 का प्रकोप अधिक है। इसमें तेज बुखार के बाद तीसरे दिन से प्लेटलेट्स में कमी आ रही है। साथ ही, डेंगू बुखार के दौरान पहले पीड़ित मरीज के शरीर में श्वेत रक्त कणिका (डब्ल्यूबीसी) की कमी हो जा रही है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), पटना के विशेषज्ञ चिकित्सकों का कहना है डेंगू पीड़ित को स्पर्श करने से डेंगू नहीं होता। डेंगू वायरल बीमारी नहीं है। डॉक्टरों के अनुसार डेंगू पीड़ित को कोरोना भी हो सकता है। बुखार से ज्यादा कमजोरी महसूस होने पर कोरोना जांच कराने से बीमारी की स्पष्ट पहचान हो सकती है। इसके कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी होना शुरू हो रहा है। फिर 3 दिन बाद प्लेटलेट्स घटने लग रहा है। डेंगू के बढ़ रहे मरीजों को देखते हुए लोगों को सतर्क रहने की जरुरत है.
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