झारखंड मुक्ति मोर्चा द्वारा आज बुधवार को टाटा समूह की तीन कंपनियों- टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टायो और टाटा कमिंस कंपनी का गेट पर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया गया. कंपनियों के मुख्यालय जमशेदपुर में रखने की मुख्य मांग के समर्थन में सुबह से ही हज़ारों की तादाद में दूर-दूर से लोग जुटे और नारेबाज़ी करने लगे. बिष्टुपुर स्थित टाटा स्टील के मुख्य गेट पर डटे झामुमो के वरिष्ठ नेता और जुगसलाई क्षेत्र के पूर्व विधायक दुलाल भुइयां ने कहा कि लगातार झारखण्ड के आदिवासियों-मूलवासियों, दलितों, अल्पसंख्यकों के साथ ज़ुल्म हुआ है. यहाँ के लोगों के साथ यह सरासर ज़ुल्म होगा, कि टाटा समूह की कंपनियों का संचालन पुणे या मुंबई से किया जाय. इससे यहाँ के तमाम कामगारों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा. तमाम मामलों का निपटारा झारखण्ड में नहीं हो पायेगा. ऐसी हालत में कामगारों को अपनी समस्याओं के निपटारे के लिए पुणे या मुंबई जाना पड़ेगा, जो मुमकिन नहीं होगा. शायद टाटा की मंशा यही है कि कामगार अपनी बातें आसानी से प्रबंधन के समक्ष न रख पायं. यहाँ के लोगों ने सौ साल से ज्यादा समय पहले इसी उम्मीद से दी थी, कि उन्हें काम मिले-रोज़गार मिले. सरायकेला के विधायक और राज्य के मंत्री चम्पई सोरेन ने कहा कि यहीं की सब कुछ ज़मीन, जल, श्रम और मुनाफ़ा सिर्फ कॉरपोरेट्स को ? यहाँ से जाना है, तो फिर आए क्यों ? ऐसा हरगिज़ नहीं होने दिया जाएगा.पर्दशनकारियों ने कहा कि यह तो सिर्फ ट्रेलर है. अगर मांग नहीं मानीगई, तो आन्दोलन तेज़ किया जाएगा. कंपनी के तमाम गेट पर तीनों शिफ्टों में हजारों कार्यकर्त्ता बैठ जाएंगे. उन्होंने कहा कि टाटा कमिंस के मुख्यालय को जमशेदपुर लाने और कंपनियों में सरकार की स्थानीय नीति के तहत 75 प्रतिशत स्थानीय को रोजगार देने की मांग को लेकर आंदोलन का निर्णय कदमा के उलियान में आयोजित कोल्हान के झामुमो विधायकों व कोल्हान प्रमंडल के तीनों जिलों की जिला कमेटियों की बैठक में लिया गया था.यह आन्दोलन राज्य सरकार की किसी योजना के खिलाफ नहीं, बल्कि टाटा समूह की नीतियों के खिलाफ है. यह केन्द्र में सत्ता पर बैठी भाजपा के इशारे पर हो रहा है, ताकि टाटा अपनी मनमानी चला सके और झारखण्ड के लोग और यहां की सरकार कुछ कर न सके. उधर गम्हारिया स्थित टायो गेट के समक्ष झामुमो ने अपनी शक्ति का ज़बरदस्त प्रदर्शन किया. ईचागढ़ की विधायक सविता महतो के नेतृत्व में हज़ारों कार्यकर्त्ता काफिले की शक्ल में आकर गेट के बाहर जम गए. सबकी वही मांग, कि टाटा अपनी मनमानी बंद करे. उधर राज्य के विपक्ष दल भाजपा ने कहा कि यह शायद झारखंड के इतिहास में पहली बार हो रहा है कि सत्ताधारी दल अपने प्रदेश की सबसे बड़ी कंपनी के खिलाफ आधिकारिक रूप से आंदोलन कर रहा है। यह एक हास्यास्पद स्थिति है.
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि टाटा समूह इस मांग पर क्या रूख अख्तियार करता है.
RIMPA NAG
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