अब झारखंड के शहरी क्षेत्रों में पानी पीना भी महंगा पड़ने वाला है। राज्य सरकार की नई नीति के चलते ही आज वाटर कनेक्शन का शुल्क 14 गुणा बढ़ गया है और तो और वाटर टैक्स में भी पचास प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है। इस फ़ैसले का जमकर विरोध किया जा रहा है।
बुधवार को राजभवन के समक्ष धरना दिया गया। रांची की मेयर आशा लकड़ा की अगुवाई में विभिन्न जन संगठनों से जुड़े लोगों के साथ रांची नगर निगम के पार्षदों ने धरने में शामिल हुए। इससे पहले भी मंगलवार को मेयर, डिप्टी मेयर और पार्षदों ने नगर निगम के मुख्य द्वार पर प्रदर्शन किया था। सरकार जलकर नीति को वापस ले, इस आंदोलन का मकसद है।
बुधवार को राजभवन के समक्ष रांची की मेयर आशा लकड़ा ने सरकार के फैसले को गलत बताते हुए कहा कि नई जल कर नीति नगर निगम बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव के पारित होने के बाद लागू होनी थी। अभी तक बोर्ड ने इस प्रस्ताव को स्वीकृति नहीं दी, लेकिन इसके बावजूद सरकार ने जबरन फैसला थोप दिया है।
क्या है सरकार की जल कर नीति ?
झारखंड सरकार की जल कर नीति के मुताबिक नगर निकाय क्षेत्रों में रहने वाले आवासीय उपभोक्ताओं को वाटर कनेक्शन लेने के लिए न्यूनतम सात हजार से लेकर 42 हजार रुपये तक का भुगतान करना पड़ेगा। व्यवसायिक, सांस्थानिक व औद्योगिक उपभोक्ताओं को दिये जाने वाले कनेक्शन की दरों में भी भारी वृद्धि की गयी है। इससे पहले आवासीय उपभोक्ताओं को प्रति किलोलीटर पेयजल का उपभोग करने पर छह रुपये देना पड़ता था, अब इसके बदले लोगों को प्रति किलोमीटर 9 रुपये देना होगा। गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को भी वाटर कनेक्शन के लिए शुल्क चुकाना होगा, जबकि पहले उन्हें नि:शुल्क कनेक्शन दिया जाता था।
झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स ने भी वाटर टैक्स में अचानक वृद्धि को लेकर विरोध जताया है। चैम्बर ने कहा है कि झारखंड राज्य में जलापूर्ति का ढांचा पहले ही कमजोर है। सबसे पहले सरकार को जलापूर्ति की लाइनों का विस्तार और ढांचा को ठीक करने की दिशा में कदम उठाने चाहिए।
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