लोक आस्था के कई रंगों से सजा छठ पर्व अब घर -घर में छठ गीत के साथ नज़र आ रहा है. नहाय-खाय और खरना के बाद अब तीसरे दिन शाम के अर्घ्य की तैयारी है. हाथ में सूप, खुले बाल, लाल-पीली साड़ी और मांग से नाक तक सजा सुहाग का सुंदर प्रतीक सिंदूर. माथे पर नाक तक सजा सिंदूर, ये एक ऐसी निशानी है जिसे दूर से देखकर ही बताया जा सकता है कि महिला ने छठ व्रत किया है. लेकिन, सवाल ये है कि सामान्य दिनों की अपेक्षा छठ पर्व पर नाक तक लंबा सिंदूर लगाने की परंपरा क्यों है.
इस सवाल का जवाब एक आदिवासी लोककथा में मिलता है. यह कथा कई गांवों और गांव वालों के बीच अलग-अलग तरह से प्रचलित है और कई तरह के वर्जन भी मिल जाएंगे.
ये कहानी हजारों या लाखों साल पहले शायद उस दौर की है, जब सभ्यता ने अभी पनपना शुरू नहीं किया था. कालू दोनों का साथ रहना पसंद नहीं करता था. एक दिन वीरवान और धीरमती जंगल में काफी अंदर तक चले गए. शिकार नहीं मिला. धूप ने सताना शुरू किया तो प्यास लगी. वीरवान जल लेने चला गया और धीर इंतजार करने लगी. कालू ने मौका देखा और अकेले निकले वीरवान पर हमला बोल दिया और उसे गहरा घायल कर दिया. धीरमती ने तुरंत कालू पर हंसिया चला दी. मरते-मरते कालू ने धीर की ओर भी चाकू फेंक दिया, जो उसके सीने में जा धंसा. मरते वक्त वीरवान ने अपनी बहादुर पत्नी के सिर पर गर्व और प्यार से हाथ फेरा तो मांग और माथे की बीच की जगह खून के कारण सुर्ख हो गई.
ये सुर्खी किसी तरह के अधिकार और दासता की प्रतीक नहीं थी. ये लाली और सुर्खी शौर्य की प्रतीक थी. वीरता की पहचान थी. कहते हैं न कि इज्जत का नाक से गहरा संबंध है. यह इज्जत शौर्य ही है. जिसकी नाक ऊंची उसकी उतनी इज्जत ऊंची. इसी इज्जत, प्रेम, शौर्य और वीरता का प्रतीक है सिंदूर. सामान्य दिनों में महिलाएं मांग में सिंदूर इसी वजह से लगाती हैं, लेकिन छठ पर्व पर अपने सुहाग की लंबी उम्र, उसकी हमेशा प्रतिष्ठा और सम्मान बने रहने की कामना के लिए नाक तक लंबा सिंदूर लगाती हैं.
देश-दुनिया में पूज्यनीय देवी सीता से जुड़ी कथा भी सिंदूर को लेकर
लोकथाएं कहती हैं कि जब रावण बार-बार उनसे विवाह की हठ कर रहा था तब देवी सीता तिनके की ओट से उससे बात करती थीं. इस दौरान वह नाक तक लंबा सिंदूर लगाती थीं ताकि रघुवंश कि विवाहिता का प्रतीक रावण को दूर से नजर आ जाए. इस बात का जिक्र मंदोदरी भी रावण से करती हैं. वह कहती हैं कि सीता पतिव्रता हैं. उनके बोलने से पहले उनका सिंदूर चमक कर इसका प्रमाण दे देता है.
सिंदूर लगाने का ज्ञात प्रचलन 5000 साल से अधिक पुराना है. पौराणिक कथाओं में इसका जिक्र तो मिलता ही है, साथ ही कई सभ्यताओं के ऐतिहासिक अध्ययनों में भी ये बात साबित हो चुकी है. धार्मिक आधार पर सिंदूर पति की आयु, उसके स्वास्थ्य से जोड़ा जाता है.
Join Mashal News – JSR WhatsApp Group.
Join Mashal News – SRK WhatsApp Group.
सच्चाई और जवाबदेही की लड़ाई में हमारा साथ दें। आज ही स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें! PhonePe नंबर: 8969671997 या आप हमारे A/C No. : 201011457454, IFSC: INDB0001424 और बैंक का नाम Indusind Bank को डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर कर सकते हैं।
धन्यवाद!