पिछले कुछ वर्षों में निरंतर तेजी के साथ देश में महंगाई बढ़ी है, उससे गरीब तबका तो पहले से ही परेशान है, लेकिन अब तो एक मध्यमवर्गीय परिवार को भी अपनी आय और व्यय में सामंजस्य बैठाना बेहद मुश्किल हो रही थी, महंगाई के प्रकोप के लंबे समय से चले आ रहे हालातों में सुधार होने की जगह परिस्थितियां दिनप्रतिदिन विकट होती जा रही थी, लेकिन अब खुदरा महंगाई दर के पांच महीने के उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद थोक महंगाई दर पर राहत मिलती नजर आ रही है |
जून में 15 प्रतिशत के पार पहुंचने वाली थोक महंगाई दर में गिरावट देखी जा रही है और यह अगस्त के 12.41 प्रतिशत के मुकाबले घटकर 10.70% पर पहुंच गई है. लेकिन यह लगातार लगातार 18वां महीना है जब थोक महंगाई दर (WPI) 10 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है |
18 महीने के निचले स्तर पर थोक महंगाई
इससे पहले अगस्त में WPI 11 महीने के निचले स्तर पर आ गई थी. लेकिन अब यह घटकर सितंबर में 18 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई है. मई में WPI 15.88 प्रतिशत के रिकॉर्ड हाई लेवल पर पहुंच गई थी. सितंबर में खाद्य महंगाई दर 9.93% से घटकर 8.08% पर और खाद्य तेल WPI -0.74% से घटकर -7.32% पर पहुंच गई है |
इसी तरह प्राइमरी आर्टिकल WPI 14.93% से घटकर 11.73% पर आ गई है. फ्यूल एंड पावर WPI 33.67% से घटकर 32.61% पर आ गई है. मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट WPI 7.51% से घटकर 6.34% पर आ गई है. सितंबर में कोर WPI 7.8% से घटकर 7% पर पहुंच गई है |
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