उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का 82 साल की उम्र में निधन हो गया है। आज सुबह गुरूग्राम के मेदांता अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवम्बर 1939 को सैफ़ई भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के इटावा ज़िले में स्थित एक बड़ा गाँव व कस्बा है। यह एक तहसील और विकास खंड के साथ साथ पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का जन्मस्थान भी है. 1996 में, यादव मैनपुरी निर्वाचन क्षेत्र से ग्यारहवीं लोकसभा के लिए चुने गए।
उस वर्ष बनी संयुक्त मोर्चा गठबंधन सरकार में उनकी पार्टी शामिल हुई और उन्हें भारत का रक्षा मंत्री नामित किया गया।
समाजवादी पार्टी के संस्थापक रहे मुलायम सिंह यादव के निधन के साथ ही उत्तर प्रदेश और देश की राजनीति में एक युग का अवसान हो गया है। जवानी के दिनों में अखाड़े में पहलवानी करने वाले मुलायम सिंह यादव सियासत में भी अपने चरखा दांव के लिए मशहूर थे। तीन बार यूपी के सीएम रहे मुलायम सिंह यादव के सियासी जीवन में उतार-चढ़ाव जरूर आए, लेकिन वह अपने समर्थकों के लिए हमेशा ‘नेताजी’ बने रहे। अपने नाम के ही अनुरूप मुलायम सिंह यादव हमेशा अपने समर्थकों और विरोधियों के प्रति भी मुलायम बने रहे।
राम मनोहर लोहिया, जय प्रकाश नारायण से लेकर चौधरी चरण सिंह तक के साथ काम करने वाले मुलायम सिंह यादव ने यूपी की सियासी जमीन को समाजवाद के लिए उर्वर बनाया था। कट्टर प्रतिद्वंद्वी कहे जाने वाली भाजपा हो या फिर बीएसपी, सभी से मुलायम सिंह यादव के अच्छे रिश्ते बने रहे। खासतौर पर पीएम नरेंद्र मोदी से उनकी अच्छी बॉन्डिंग थी। उन्होंने नरेंद्र मोदी जी को भी पीएम बनने का आशीर्वाद दिया था.
मुलायम सिंह यादव 10 बार विधायक चुने गए और 7 बार सांसद भी रहे। वह 1996 से 1998 के दौरान देश के रक्षा मंत्री रहे थे और तीन बार यूपी के सीएम भी बने। मुलायम सिंह यादव ने 1989–91, 1993–95 और 2003–07 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर काम किया था। यही नहीं एक दौर में तो वह प्रधानमंत्री पद के दावेदार भी बने थे।
मुलायम सिंह यादव के फैसले से हर शहीद का पार्थिव शरीर पहुंचता है घर, रूस से भारत को दिलाए थे सुखोई-30
आज अगर किसी शहीद सैनिक का शव सम्मान के साथ उनके परिजनों को पहुंचता है तो इसका पूरा श्रेय मुलायम सिंह यादव को ही जाता है। आजादी के बाद कई सालों तक सीमा पर कोई भारतीय सैनिक शहीद हो जाता था तो उसका पार्थिव शरीर उसके घर पर नहीं पहुंचाया जाता था। जवान का वहीं पर अंतिम संस्कार करने के बाद परिवार को सिर्फ जवान का कीमती सामान और टोपी ही दी जाती थी।
जब मुलायम सिंह यादव ने देश के रक्षा मंत्री की कुर्सी संभाली तो उन्होंने ये तय किया कि अब सीमा पर शहीद हुए सैनिक का पार्थिव शरीर पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनके घर तक पहुंचाया जाएगा और जिले के एसपी-डीएम सैनिक के घर जाकर उसे श्रद्धांजलि देंगे। इसके बाद सैनिकों के पार्थिव शरीर सम्मान के साथ घर पहुंचना शुरू हुए थे।
मुलायम सिंह के रक्षा मंत्री रहते ही भारत को रूस से सुखोई-30 युद्धक विमान मिले थे। 1996 में आम चुनाव से पहले पी. वी. नरसिम्हा राव की सरकार ने अंतिम दिनों में रूस के साथ सुखोई विमान समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। बीजेपी ने इस डील का विरोध किया। बीजेपी का सवाल था कि सरकार जल्दबाजी में ये डील कर रही है। इसमे कोई बड़ा घोटाला हो सकता है।
अटल बिहारी वाजपेयी की चिंता थी कि बिना अंतिम कीमत तय किए 35 करोड़ डॉलर रूस को क्यों दिए गए। वाजपेयी ने ये भी कहा कि अगर ये एक अच्छा एयरक्राफ्ट है तो घोटाले की बेबुनियादी बातों से डील को नुकसान नहीं होना चाहिए। अंत में डील फाइनल हुई और भारत को सुखोई विमान मिले जिससे भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़ गई।
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