कोरोना के कारण इन पिछले 2 वर्षों में काफी नुकसान हो चुका है. वहीं, अस्पतालों और स्वास्थ्यकर्मियों का पूरा ध्यान इस वैश्विक महामारी की रोकथाम में लगा रहा। घरों में भी लोग कोविड महामारी से बचने के उपायों के पीछे लगे रहे।
पूर्व सिविल सर्जन डॉ. जूझार मांझी में बताया कि 2022 में रवीन्द्र भवन में हुई जांच के दौरान करीब 8 से 10 ऐसे कैंसर मरीज मिले, जो थर्ड और फोर्थ स्टेज में पहुंच चुके थे, हालांकि यह पूरा डाटा नहीं है। इनमें जिन महिलाओं की जांच हुई थी उनमें से यह मामले सामने आए। ऐसी सैकड़ों महिलाएं हैं, जिनको प्रारंभिक स्टेज में पता ही नहीं चल पाता कि वह ब्रेस्ट कैंसर की चपेट में हैं।
महिलाओं में 23% मामले ब्रेस्ट कैंसर के थे
दूसरे रोगों के इलाज के दौरान जब वह तीसरे और चौथे स्टेज में पहुंच चुकी होती हैं तब उन्हें इसकी जानकारी मिल पाती है। शुगर, बीपी सहित अन्य कई बीमारियां हैं, जिन्हें बैलेंस करना आसान हो जाता है, लेकिन कैंसर जैसे असाध्य रोगों में तीसरे चौथे स्टेज में पहुंचने के बाद इसे बैलेंस करना क्रिटिकल होता है। कोविड के दौरान कैंसर से जुड़े करीब 40% ऑपरेशन टल गए।
जबकि महिलाओं में 23% मामले ब्रेस्ट कैंसर के थे। ब्रेस्ट कैंसर के मामले ज्यादातर शहरी क्षेत्र की महिलाओं में सामने आते हैं, इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि शहरी क्षेत्र की महिलाएं जागरूक होती हैं। शरीर में छोटे-मोटे बदलाव के बाद ही वह अपनी जांच कराती हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं तीसरे और चौथे स्टेज में पहुंचने के बाद ही इलाज के लिए पहुंच पाती हैं।
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