आपने कार, बाइक या हाथी-घोड़ों के कई मेले देखें होगें, लेकिन क्या कभी भूतों का मेला देखा है? जी हां, यह सच है। बिहार में नवरात्र के दौरान कुछ जगह ‘भूतों का मेला’ लगता है। यहां मानर (एक प्रकार का ढोल) की थाप पर शागिर्द गीत गाते हैं और तांत्रिक सरेआम महिलाओं पर चढ़े भूत को भगाने का खेल करते हैं। भूत पीते हैं सिगरेट, बचने को भागती हैं महिलाएं…भूत भगाने का खेल कुछ ऐसा होता है, जिसे देख पढ़े-लिखे लोग यह सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि आज भी लोग अंधविश्वास के किस युग में जी रहे हैं।
बिहार के कैमूर जिले के हरसुब्रह्म स्थान और औरंगाबाद के महुआधाम में नवरात्र के दौरान भूतों का मेला लगता है। यहां भूत से पीड़ित लोग अटपटे काम करते देखे जाते हैं। कोई पागलों की तरह बेसुध होता है तो कोई आग पर नंगे पाव चलता है। कुछ महिलायें धधकते हवन कुंड़ की ज्वाला पर कुदती फांदती है । महुआधाम में आए मनीष भी भूत पीड़ितों में से एक है। वह लगातार सिगरेट पी रहा है। इसके परिजनों का कहना है कि मनीष ऐसा नहीं कर रहा है, उसके शरीर पर आया भूत सिगरेट पी रहा है।
ड्रामे से कम नहीं होता है भूत भगाने का खेल
यहां भूत भगाने का खेल किसी ड्रामे से कम नहीं होता। महिलाएं ज्यादातर मामलों में भूत की शिकार होती हैं और परिजन उसे मेला में लेकर आते हैं। भूत भगाने का दावा करने वाले तांत्रिक तय रकम लेने के बाद तंत्रक्रिया शुरू करता है। तांत्रिक तरह-तरह के मंत्रों का जाप करता है और पीड़ित महिला को चावल के दाने देता है।
चावल मिलते ही रंग दिखाने लगता है भूत
चावल हाथ में लेते ही महिला के शरीर पर बैठा भूत अपना रंग दिखाने लगता है। महिला शुरू में धीरे-धीरे हिलती है और फिर झूमने लगती है। इस दौरान तांत्रिक उसके बाल पकड़कर भूत से बात करता है। वह भूत से पूछता है कि वह महिला को क्यों परेशान कर रहा है? कौन है और कहां से आया है? पीड़ित महिला भूत के बारे में बोलती है। इसके बाद तांत्रिक भूत को कैद करने का नाटक करता है।पीपल के पेड़ में बांधे जाते हैं भूत।
औरंगाबाद के महुआधाम के विन्धवासनी मंदिर के खाली मैदान में महिलाएं सुमरति (मां का गीत) गाती हैं। यहां तांत्रिक महिलाओं के बाल पकड़कर उसके सिर को जोड़-जोड़ से जमीन पर पटकता है और दावा करता है कि इससे भूत भाग जाएगा। यहां कई महिलाएं झूम रही होती हैं तो कई बचने के लिए भाग रही होती हैं, जिन्हें तांत्रिक पकड़कर अपने पास बिठाता है। इस दौरान कई पीड़ित तरह-तरह की बातें करते हैं। कोई खुद को किसी गांव का भूत बताता है तो कोई स्वयं को किसी अन्य गांव का प्रेत बताता है। तांत्रिक इन सभी भूत-प्रेतों को पीपल के पेड़ पर बांधने का दावा करता है।
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