गांधी जयंती पर जमशेदपुर में संवाद यात्रा निकाली गई। गांधी शांति प्रतिष्ठान की जमशेदपुर शाखा और संघर्ष वाहिनी समन्वय समिति के तत्वावधान में आयोजित इस संवाद यात्रा में बड़ी संख्या में वरिष्ठ गांधीवादी लोगों, वरिष्ठ रंगकर्मियों, युवाओं किशोरों और बच्चों ने भाग लिया। सोनारी आदर्श नगर से इस यात्रा का शुभारंभ किया गया और यात्रा का समापन खूंटाडीह, सोनारी स्थित समता भवन में हुआ, जहां लोगों ने गांधी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया।
“वैष्णव जन तो..”
इस अवसर पर शहर के युवा संगीतकार चंदन और गायक रमण ने “वैष्णव जन तो.. “, “रघुपति राघव राजा राम..” आदि गीत प्रस्तुत कर किया।
संवाद यात्रा के दौरान रास्ते में लोगों के साथ संवाद स्थापित करते हुए पर्चे आदि बांटे गए और कहां गया कि आज के परिप्रेक्ष्य में गांधी दर्शन और उनके आदर्श को आत्मसात करने की कितनी आवश्यकता है ?
गांधी को आज जानने और समझने की जरूरत
गांधी को आज जानने और समझने की बहुत ज्यादा जरूरत है, ख़ासकर युवा पीढ़ी गांधी को पढ़े और यह जाने कि कैसे गांधी ने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने में महती भूमिका निभाई थी। उन्होंने सत्याग्रह के बल पर ब्रिटिश हुकूमत को नतमस्तक कर दिया था।
नफरत के बीज
आज देश के अंदर जिस तरह से जाति, संप्रदाय और धर्म के नाम पर नफरत के बीज बोए जा रहे हैं, उससे देशवासियों को बचाने की जरूरत है यात्रा के दौरान शामिल लोगों के हाथों में तख्तियां और बैनर थे, जिनमें गांधी के कहीं उक्तियां और स्लोगन अंकित थे। “कोई मजहब कोई पहचान, सबसे पहले हम इंसान”…. आदि नारे लगाते हुए संवाद यात्री चल रहे थे।
सत्य और सत्याग्रह
यात्रा के समापन पर आयोजित सभा में साथी मंथन ने गांधी के सत्य और सत्याग्रह का विश्लेषण किया और उनके प्रिय भजन रघुपति राघव राजा राम…तथा आज कथित तौर पर लगाए जाने वाले नारा “जय श्रीराम” के बीच मूलभूत अंतर को समझने की आवश्यकता पर जोर दिया।
गांधी के बचपन का किस्सा
साथी अरविन्द अंजुम ने गांधी के बचपन का एक किस्सा साझा करते हुए बताया कि एक बार गांधी को उनके बचपन में उनके बड़े भाई ने मारा, तो उन्होंने जब इसकी शिकायत मां से की, तो मां ने मोहनदास को भी बदले में मारने की बात कही, तो उन्होंने कहा, कि यह कैसा न्याय ? दोषी को डांटने के बजाय बदला लेने के लिए उकसाना। गांधी के मन में बचपन से ही सत्य और अहिंसा की भावना विकसित हुई थी, जिनके दम पर उन्होंने तमाम अस्त्रों और शस्त्रों को बेदम और बेकार कर दिया।
निहित स्वार्थ की खातिर..
आज के दौर में भी निहित स्वार्थ के लिए देश के लोगों को जाति, धर्म, भाषा, संप्रदाय और मज़हब के नाम पर बांटा जा रहा है। यह गांधी ने कतई नहीं चाहा था।
शहर के जाने माने सामाजिक कार्यकर्त्ता स्व. दिनेश शर्मा के आवास पर आयोजित इस सभा में अंत में धन्यवाद ज्ञापन स्व. दिनेश शर्मा के सुपुत्र अविनाश कुमार ने किया।
मौजूदगी
इस संवाद यात्रा में जवाहर लाल शर्मा, भारती कुमारी, आनंद सागर, नंदिता, शोमय, मौसारी, पूजा प्रमाणिक, लक्ष्मी सामद, लक्ष्मी गोप, खुशबू कुमारी, अनूप, बिनाय, अनमोल, राजू सिंह, संजय दास, सुशील, आयुष कुमार, अभिषेक, अंकित, चंदन, सुदाम, सचिन, अकाश, बलराम प्रसाद, वसंत कुमार, सुशांत कुमार, शशांक शेखर, अविनाश कुमार, जगत, चिन्मयी, निधि, स्वेता शशि, रूम्पा कुमारी, संतोष कुमार, दिलीप कुमार, वासुदेव, भाषाण मानमी, अमर सेंगेल, वंश राज, दिव्यांशु दीप, अंकुर, मंथन, रमन, राजश्री, सुख चंद्र झा, अरविंद अंजुम, अनु एवं कुमार दिलीप, आनन्द मिश्रा, श्रद्धा मिश्रा, आरव कुमार, विक्रम, तरुण कुमार, अभिषेक गौतम आदि मुख्य रूप से शामिल हुए।
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