इस मंदिर में बड़े पैमाने पर नवविवाहित माता का आशीर्वाद पाने के लिए आते हैं।इसके अलावा मां कामाख्या देवी के बाद इसे दूसरा शक्तिपीठ कहा जाता है।पौराणिक कथाओं के अनुसार मां भवानी एक बार अपनी दो सहेलियों के साथ मंदाकिनी नदी में स्नान के लिए गई थी।जिसके बाद दोनों सहेलियों को भूख लग गई।सहेलियों की भूख मिटाने के लिए मां भवानी ने अपना सिर तलवार से काट दिया।जिसके बाद मां की गर्दन से खून की तीन धाराएं निकली।
जिसमें से एक मां के मुख में गई, जबकि दो माता की सहेलियों के मुख में।जिसके बाद माता की दोनों सहेलियों की भूख शांत हुई थी।उसके बाद से मां छिन्नमस्तिके स्वरूप की पूजा की जाने लगी।रजरप्पा में छिन्नमस्तिके मंदिर के परिसर में मां काली के साथ-साथ कई देवी देवताओं के मंदिर हैं।जिसमें सूर्य भगवान, भगवान भोलेनाथ के 10 मंदिर शामिल हैं।देश में नवरात्रि का त्यौहार शुरू हो गया है।इस साल शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर से शुरू हुई है।
आज नवरात्रि का दूसरा दिन है।यह त्योहार पूरे देश में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।इस नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है। इन दिनों लोग उपवास रखते हैं और अपने अपने घरों में कलश की स्थापना करते हैं।झारखंड के रामगढ़ में मां छिन्नमस्तिके का विशेष महत्व है।इस मंदिर में विशेष अनुष्ठान होता है।यह मंदिर महाभारतकालीन से बना हुआ है।
यह मंदिर 6000 साल पुराना है।जिसकी एक अलग ही महिमा है।मां छिन्नमस्तिके भैरवी का मंदिर दामोदर नदी के संगम पर स्थित है।इस मंदिर से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं।वेद पुराणों में इस मंदिर का उल्लेख किया गया है।यह मां दुर्गा के शक्तिपीठों में से एक माना जाता है।यह मंदिर तंत्र साधना करने वाले लोगों के बीच बहुत प्रसिद्ध है।तंत्र साधना करने वाले श्रद्धालुओं के द्वारा मंदिर में लगभग 150 से 200 पशुओं की बलि दी जाती है।
लोगों का कहना है कि मां छिन्नमस्तिके रात के समय इस मंदिर में घूमती हैं।यहां पर 13 हवन कुंड है।जहां पर तंत्र साधकों के द्वारा सिद्धि हासिल की जाती है।इसके अलावा इस मंदिर में बलि के बाद पशुओं के अपशिष्ट से लगभग 25 से 30 किलोवाट बिजली उत्पादन की योजना तैयार की गई है।
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