लौहनगरी में तीन दिवसीय जिउतिया पर्व शुरू हो गया है। शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ इसकी शुरुआत हुई। माताओं ने नदियों में स्नान कर अरबा चावल का भात, नोनी साग, कंदा, झिंगली की सब्जी बनाकर खाया। कुछ इलाकों में बसकरेल (बेम्बो शॉटस) की भी सब्जी बनाकर खाए जाने का नियम है। मिथिला पंचांग के अनुसार, शनिवार दोपहर 3 बजकर 6 मिनट से लेकर रविवार शाम 4 बजकर 49 मिनट तक अष्टमी तिथि है।
इस दौरान माताएं संतान के दीर्घायु होने की कामना को लेकर 24 घंटे से अधिक का निर्जला उपवास रखेगी। बनारसी पंचांग के अनुसार उपवास 18 सितंबर को है। हालांकि शहर में ज्यादातर महिलाएं शनिवार को ही उपवास रखेंगी और रविवार को पारण करेंगी। कई स्थानों पर उदया तिथि में पारण का महात्म्य है तो सोमवार को इसका निस्तार होगा। जिउतिया पर महिलाएं कई तरह का घर में प्रसाद बनाती हैं। कुछ स्थानों पर डलिया चढ़ाने की परंपरा है और महिलाएं पितरों की भी पूजा करती हैं।
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