
आज नवंबर महीने का पहला दिन है और आज ही से दीपावली की रौनक हर तरफ दिखाई दे रही है। दुकानें सजी हुई हैं. तरह-तरह के अलग-अलग डिज़ाइन वाले मिट्टी के घर, मिट्टी के खिलौनें, मिट्टी की मूर्तियाँ और थर्माकोल के घर भी दुकानों में सजे हैं। ऐसा लग रहा है जैसे आज ही दिवाली है। हर गली, हर मोहल्ले दुकानों में पटाखे सजे हुए हैं. बच्चे अभी से पटाखें खरीदकर फोड़ रहे हैं। लोगों के घरों में लाइट की चमक को देखकर दिवाली का एहसास अभी से हो रहा है।
क्यों मनाते हैं दीपावली ?
रामायण के अनुसार दीपावली का पर्व इसलिए मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन श्रीराम अपना वनवास काटकर सीताजी और लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस आए थे। इसी खुशी में अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था।
दीपावली अमावस की रात में मनाई जाती है और अमावस को काली पूजा होती है
जगह-जगह पर काली पूजा की भी रौनक छाने लगी है। कोरोना महामारी के बीच अब ऐसा लग रहा है लोग अपनी ज़िंदगी को खुलकर जी रहे हैं। जो लोग हाथ से बनाई हुई चीजें बेचते थे, अब उनके रोज़गार का जरिया खुला है।
इन सबके बीच हमें यह भी ध्यान रखना है कि फिर से कोरोना का प्रकोप हमारी लापरवाही की वजह से न बढ़े। हमें खुद को भी सुरक्षित रखना है और दूसरों को भी। आतिशबाजी भी सावधानी से हम करें यह भी जरूरी है और यदि संभव हो, तो आतिशबाजी न ही करें तो बेहतर है। यह जरूरी नहीं, कि खुशी पटाखे फोड़ने से ही मिलती है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का त्यौहार है। प्रेम और सद्भाव फैलाने का त्यौहार है।
Sapna Chakraborty

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