झारखंड के 19 हजार होमगार्ड जवान जल्द ही वोलंटियर से राज्य कर्मचारी बनाए जाएंगे। गृह मंत्रालय ने इसकी पहल की है। मंत्रालय की ओर से सभी राज्यों से पत्राचार कर रिपोर्ट और सुझाव मांगा गया है। पत्र में इस बात को इंगित किया गया है की होमगार्ड के वर्तमान मॉडल को अपडेट करने के लिए 1965 और 1969 बिल में संशोधन की जरूरत है। यह दोनों बिल गृह रक्षकों को स्वयंसेवी का दर्जा देती है।
मंत्रालय ने सभी होमगार्ड कमांडेंट से दोनों ही बिल की समीक्षा के लिए सुझाव मांगे हैं। सुझाव के साथ-साथ 20 अगस्त तक गृहरक्षकों को उनके राज्यों में क्या सुविधाएं मिल रही हैं, इसे भी रिपोर्ट बनाकर सौंपने को कहा गया है। झारखंड में चार हजार महिला और 15 हजार पुरुष होमगार्ड जवान हैं।
लाखों पोस्टकार्ड भेज गृह रक्षकों ने बयां किया था दर्द
कोरोना काल के दौरान धनबाद समेत पूरे देश के गृह रक्षकों ने गृह मंत्रालय को पोस्टकार्ड भेज कर अपना दर्द बयां किया था। लाखों की संख्या में पोस्टकार्ड भेजकर वॉलंटियर से राज्य कर्मचारी का दर्जा देने की मांग की गई थी। इस पर संज्ञान लेते हुए गृह मंत्रालय ने गृह रक्षक बिल में संशोधन के लिए समीक्षा का निर्णय लिया है।
गृह मंत्रालय के संज्ञान से गृह रक्षकों में हर्ष
गृह मंत्रालय के द्वारा संज्ञान लिए जाने के बाद तमाम गृह रक्षकों में हर्ष है। गृह रक्षक इसे अपने हक में जीत का पहला कदम बता रहे हैं। झारखंड होमगार्ड वेलफेयर एसोसिएशन के रवि मुखर्जी ने बताया कि यह देशभर के गृह रक्षकों के लिए हर्ष की बात है। सरकारी विभागों की सुरक्षा हो, बैंक की सुरक्षा हो या फिर पुलिस थानों और ट्रैफिक की व्यवस्था। चुनाव हो या फिर आपातकाल किसी भी परिस्थिति में होमगार्ड के जवानों ने सदैव अग्रिम मोर्चा संभाला है, लेकिन वॉलंटियर के रूप में न राज्य के थे न केंद्र के। होमगार्ड जवानों को हमेशा उपेक्षा का शिकार होना पड़ा है। अब अगर केंद्र सरकार की पहल पर गृह रक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा प्राप्त होता है तो जवानों को ठौर मिलेगा।
स्वयंसेवक के रूप में ड्यूटी और वेतन पर संशय
होमगार्ड एसोसिएशन के अविनाश कुमार बताते हैं कि आजादी के बाद देश के सुरक्षा बलों के साथ सर्दी-गर्मी, बर्फबारी, बाढ़, आगजनी, दंगा-फसाद, महामारी समेत किसी भी परिस्थिति में कंधे-से-कंधा मिलाकर पुलिस ट्रेनिंग लेकर हम होमगार्ड के जवान लगातार सेवा कार्य कर रहे हैं। इसके बावजूद गृहरक्षक अवैतनिक, अल्प वैतनिक, बिना पेंशन, ग्रेच्युटी, प्रोविडेंट फंड, स्वास्थ्य सुरक्षा, इंश्योरेंस के बगैर यह सब कार्य स्वयंसेवक की हैसियत से कर रहे हैं।
भारतीय जनता मजदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष निशांत प्रकाश जाटव ने कहा, ‘यह एक सार्थक पहल है। ब्रिटिश जमाने के कानून की वजह से सुरक्षाबलों के कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले गृहरक्षकों को उपेक्षा का शिकार होना पड़ता है। आज जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं तो ब्रिटिश काल के इस काले कानून की समाप्ति के लिए भारत सरकार की पहल सराहनीय है। देशभर के गृह रक्षकों का संवैधानिक आंदोलन सार्थक हुआ।’
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