बिहार से एक बड़ा मामला हेराफेरी का सामने आया है. यह मामला सहरसा और सुपौल जिले का है। सहरसा और सुपौल के अलग-अलग डाकघरों से डाक कर्मियों के काले कारनामे का खुलासा हुआ है। यहां 3 करोड़ 45 लाख की हेराफेरी की गई है। इस हेराफेरी मामले को लेकर सीबीआई जांच के लिए भी विभाग द्वारा अनुशंसा की गई है। हालांकि प्रधान डाकघर के डाकपाल राजीव रंजन ने सिरे से खारिज करते हुए कहा कि हमें जानकारी नहीं है।
14 कर्मियों को किया गया निलंबित
हमारे वरीय अधिकारी ही बता पाएंगे। वहीं इस हेराफेरी की मामले को लेकर प्रधान डाकघर के डाकपाल राजीव रंजन ने बताया कि सहरसा और सुपौल मिलाकर कुल 2 लाख 49 हजार की रिकवरी हो गयी है और जांच चल ही रही है। इस हेराफेरी को लेकर सहरसा और सुपौल मिलाकर कुल 14 कर्मियों को विभाग ने सस्पेंड कर दिया है। मामला फरवरी महीने का ही है। वहीं, जांच करने आये पोस्टमॉस्टर जेनरल पूर्वी क्षेत्र के अदनान अहमद ने 14 कर्मियों को निलंबित कर दिया। इन कर्मियों ने नियम को ताख पर रखकर डाकपाल की मिलीभगत से लंबे समय से ट्रांजेक्शन नहीं हुए मृत खाते को प्रधान डाकघर सहित अन्य डाकघरों में चालू कर दिया गया।
जब 2016 में माइग्रेट होने पर खाते में पैसा बढ़ने लगा तो उक्त कर्मियों के द्वारा पैसा निकासी की जाने लगी। निलंबित कर्मियों में प्रधान डाकघर सहरसा के डाकपाल राजेश कुमार, मुकेश मिश्रा, वीरेंद्र साहा, मनोज हांसदा, एसबीओ सुपरवाईजर मुकेश निराला शामिल हैं। जानकारी हो कि इन सब कर्मियों ने मृत खाते को बिना केवाईसी लिए रिवाईज कर खाता को चालू करके करोड़ों की निकासी कर ली थी। इसका मास्टरमाइंड प्रधान डाकघर के तत्कालीन डाकपाल राजेश कुमार और ऐसबीओ सुपरवाईजर मुकेश कुमार निराला बताया जा रहा है। विभागीय सूत्रों की माने तो प्रधान डाकघर के डाकपाल को अनफ्रीज करने का पावर रहता है। जिसका उनके द्वारा दुरुपयोग किया गया।
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