कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश के नाम संबोधन के बाद आज शुक्रवार को दावा किया कि मोदी ने गलत जानकारियां देकर भ्रम फैलाया है और इसके लिए उन्हें देश से क्षमा मांगनी चाहिए. पार्टी प्रवक्ता प्रो. गौरव वल्लभ ने सवाल किया कि जब देश की 50 फीसदी आबादी को कोविड का एक भी टीका नहीं लगा और सरकार की अक्षमता के कारण लाखों लोगों की जान चली गई, तो फिर किस बात का जश्न ? प्रधानमंत्री मोदी ने देश में कोविड-19 रोधी टीकों की अब तक दी गई खुराक की संख्या 100 करोड़ के पार जाने की उपलब्धि की सराहना करते हुए शुक्रवार को कहा कि भारत का टीकाकरण अभियान ”विज्ञान-जनित, विज्ञान-संचालित और विज्ञान-आधारित” है. साथ ही इसमें कोई ”वीआईपी-संस्कृति” भी नहीं है.
कांग्रेस प्रवक्ता वल्लभ ने संवाददाताओं से कहा, ‘प्रधानमंत्री जी ने कुछ ऐसे तथ्य रखे, जो आधे-अधूरे और गलत भी थे. इनसे वैज्ञानिक समुदाय में भ्रम फैल सकता है. हमारे यहां कहावत है कि नीम-हकीम खतरा-ए-जान. प्रधानमंत्री जी ‘एन्टायर पोलिटिकल साइंस’, ‘इवेंटोलॉजी’ और ‘वस्त्रोलॉजी’ के बारे में बात कर सकते हैं, लेकिन स्वास्थ्य और महामारी जैसे संवेदशील विषय पर उन्हें गलत जानकारी नहीं देनी चाहिए थी.’
यह महोत्सव का वक़्त नहीं
प्रो. गौरव वल्लभ ने दावा किया, ‘प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में पहली बार टीके बने हैं. मुझे लगता है कि यह भारत के वैज्ञानिकों, औषधि उद्योग, चिकित्सकों, नर्सों, कोरोना योद्धओं का अपमान है. सच्चाई यह है कि भारत पहले से ही टीकों के उत्पादन का बहुत बड़ा केंद्र है.’ कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, ”भारत में 1960 के दशक में तपेदिक के नियंत्रण का कार्यक्रम आरंभ किया गया था. 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी जी ने एक साथ छह बीमारियों के लिए टीकाकरण आरंभ किया, लेकिन कहीं अपना फोटो लगाकर विज्ञापन नहीं किया. 2011 में टीकाकरण नीति बनाई गई.’ वल्लभ ने कहा, ”प्रधानमंत्री जी ने अपने वक्तव्य में यह भी कहा कि भारत दुनिया का पहला देश बना, जहां टीकों की 100 करोड़ खुराक दी गई है. जबकि 16 सितंबर, 2021 तक चीन में 200 करोड़ से अधिक खुराकें दी जा चुकी हैं.’
केवल 21 % आबादी को ही लगे हैं दोनों टीके
प्रो. गौरव वल्लभ ने सवाल किया, ”दुनिया के कितने देशें की आबादी 50 करोड़ से ज्यादा है ? ऐसे सिर्फ दो देश भारत और चीन हैं. ऐसे में टीकों की खुराक की संख्या की तुलना हम किसी तीन करोड़ की आबादी वाले देश से कैसे कर सकते हैं ? हमें तो सिर्फ चीन से तुलना करनी चाहिए.’ उन्होंने कहा, ”क्या यह महोत्सव का समय है, जब 50 फीसदी आबादी को एक भी टीका नहीं लगा है ? हमारे यहां तो सिर्फ 21 फीसदी आबादी को दोनों टीके लगे हैं. चीन में एक महीने पहले 80 फीसदी आबादी को दोनों टीके लग चुके थे.”
बच्चों को टीका लगना अभी आरंभ नहीं
वल्लभ ने सवाल किया, ”क्या यह महोत्सव का समय है, जब स्कूल जाने वाले बच्चों को टीका लगना अभी आरंभ नहीं हुआ? हम कैसे जश्न मना सकते हैं, जब रोजाना टीकाकरण की संख्या घटती जा रही है ? क्या यह महोत्सव का समय है ?
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