गम्हरिया स्थित XITE कॉलेज प्रांगण में फा़दर स्टैन स्वामी एस जे, के पुण्यतिथि मनाई गई
सरायकेला-खरसावां जिले के गम्हरिया स्थित XITE कॉलेज प्रांगण में आज 9 जुलाई को फा़दर स्टैन स्वामी एस जे, की पुण्यतिथि के अवसर पर व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य वक्ता वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्त्ता अरविंद अंजुम थे. उन्होंने कहा कि स्टैन स्वामी ने अपना सम्पूर्ण जीवन झारखण्ड में आदिवासियों की अस्मिता और न्याय के लिए संघर्ष करते हुए गुज़ारा , जिसकी सज़ा उन्हें मिली. उनकी त्याग और समर्पण की भावना से शोषितों और पीड़ितों के हक के लिए लड़ना कुछ तबकों को रास नहीं आया और उन्हें येन-केन प्रकारेण जेल में डाल दिया गया और अंततः अपनी न्यूनतम जीवन-रक्षक दवाओं और अन्य कुछ उपकरणों के लिए आवाज़ उठाते रहे, लेकिन उन्हें वे चीजें नहीं मिली और इस दुनिया से वे चल बसे.
अरविंद अंजुम ने कहा कि फा़दर स्टैन स्वामी ने अपने जीवन के दौरान समाजसेवा के क्षेत्र में बहुमूल्य योगदान दिया. फादर स्टैन स्वामी का जन्म 26 अप्रैल, 1937 को तमिलनाडु के तिरूचिनापल्ली के एक जिले में हुआ और उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा वहीं के संत जोसफ स्कूल से की, जिसके पश्चात उन्होंने मदुरई येसू समाज में प्रवेश किया. तत्पश्चात वे झारखंड आए और उन्होंने इस प्रदेश को ही अपना कर्म भूमि बनाया. 2017 में UAPA के अंतर्गत विचाराधीन तथ्य पर उनकी गिरफ्तारी हुई और अपने जीवन के आखिरी क्षण उन्होंने कारावास में व्यतीत किए. उनके जीवन से लोगों को प्रेरणा लेनी चाहिए.
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व्यक्ति की चेतना पर निर्भर करता है कि वह पालतू बनता है या फिर उस शासक वर्ग के खिलाफ बग़ावत करता है-अरविन्द अंजुम
श्री अंजुम ने अपने व्याख्यान दौरान विद्यार्थियों को बताया कि जीवन में संवेदनशीलता की आवश्यकता क्या हैऔर कैसे हम दूसरों को अपने वश में करने की प्रवृति का त्याग कर सकते हैं। उन्होंने चेतना की क्रांति के बुरे नतीजों के विषय पर भी प्रकाश डालते हुए कहा कि देश में लोग दो वर्गों में बंटे हुए हैं. एक जो मुट्ठी-भर है और वह कुछ सुविधाएं देने के नाम पर या भय दिखाकर दुसरे बड़े वर्ग को पालतू यानि गुलाम बना रहा है. यह उस बड़े वर्ग में शामिल व्यक्ति की चेतना पर निर्भर करता है कि वह पालतू बनता है या फिर उस शासक वर्ग के खिलाफ बग़ावत करता है.
फा़दर मुक्ति ने इस कार्यक्रम के उद्देश्य पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए यह कहा, कि चिंतन की क्षमता को विकसित करना और समाज को अपना सेवा देना शिक्षा का परम उद्देश्य है एवं फा़दर स्टैन स्वामी ने भी इस उद्देश्य को बहुत हद तक अपने जीवन में शामिल किया और विद्यार्थी भी इस क्षेत्र में अपने कदम अग्रसर कर सकते हैं.
इस कार्यक्रम में फा़दर मुक्ति, डॉ निशीत, डॉ सुश्मिता, डॉ संचिता, प्रोफेसर शालू, डॉ प्रमोद, डॉ राधा एवं डॉ अमित आदि उपस्थित थे.
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