दलित स्त्री लेखिकाएं अपने दु:ख तथा जीवन संघर्ष से प्रेरणा पाती हैं-डॉ. प्रियंका सोनकर
धनबाद जिला अंतर्गत बी एस के महाविद्यालय, मैथन के हिन्दी विभाग द्वारा ‘ स्त्री दलित आत्मकथाओं में अभिव्यक्त चेतना’ विषय पर 24 जून को संध्या 7 बजे से एकदिवसीय वेबीनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की मुख्य वक्ता बी एच यू वाराणसी की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. प्रियंका सोनकर रहीं। वक्ता ने दलित स्त्री आत्मकथाओं की जानकारी दी। दलित स्त्री लेखिकाएं अपने दु:ख तथा जीवन संघर्ष से प्रेरणा पाती हैं और जीवन में आगे बढ़ने का प्रयास करती हैं।
एक दलित स्त्री अपने अस्तित्व की तलाश में संघर्ष करती है
एक दलित स्त्री भी लैंगिक शोषण, आर्थिक आधार पर शोषण तथा जातिगत शोषण झेलती है। वह संघर्ष करती हैंऔर अपनी अस्तित्व की तलाश करती है। समाज के शोषण के साथ पितृसत्तात्मक समाज के शोषण को झेलना उसके लिए दोहरा अभिशाप है। वह शिक्षा के प्रति सतर्क है तथा आंबेडकर और आंबेडकरवादी चेतना से प्रेरित प्रभावित होती हैं। आने वाले समय में भी इस वर्ग के लिए राह कठिन है।
Konkadasa Village Of Dalma | Village Of Santali And Munda People | Tribal Villages In Jharkhand |
कार्यक्रम का संचालन नीतिशा खलखो, स्वागत वक्तव्य प्राचार्य डॉ कौशल कुमार के द्वारा किया गया। तकनीकी सहयोग आशुतोष राहुल तिर्की और प्रियंजना हांसदा का रहा। कार्यक्रम में मुख्य रूप से उपस्थित प्रबुद्ध जनों में सुमिता खलखो, डॉ. संध्या कुमारी और डॉ. मुकुंद रविदास उपस्थित रहे। धन्यवाद ज्ञापन मनीला समद के द्वारा किया गया।
सिदगोड़ा पुस्तकालय में बिरसा मुंडा के शहादत दिवस पर विशेष परिचर्चा आयोजित
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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