महाराष्ट्र विधान परिषद की 10 सीटों के लिए सोमवार 20 जून को हुए चुनावों में सत्तारूढ़ गठबंधन को सिर्फ पांच सीटों पर जीत हासिल हुई. जबकि विपक्षी पार्टी बीजेपी ने भी पांच सीटें हासिल कर लीं. एमवीए के घटक दलों में से शिव सेना और एनसीपी ने दो-दो सीटें जीतीं और कांग्रेस ने एक सीट जीती. 10 सीटों के लिए 11 उम्मीदवारों के लड़ने से चुनाव काफी रोचक हो गए थे. बीजेपी ने पांच और कांग्रेस, एनसीपी और शिव सेना तीनों पार्टियों ने दो-दो उम्मीदवार उतारे थे.
विधान सभा में सत्तारूढ़ गठबंधन से संख्या बल कम होने के बावजूद बीजेपी द्वारा पांचों सीटें जीत लेना पार्टी के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है. अटकलें लग रही हैं कि यह सत्ता पक्ष के कुछ विधायकों के सहयोग से ही संभव हो पाया होगा. महाराष्ट्र विधान परिषद में अधिकतम विधान सभा के सदस्यों के कुल संख्या बल के एक तिहाई संख्या तक सीटों का प्रावधान है. इनमें से 30 सदस्यों को विधान सभा के सदस्य चुनते हैं.
विधान सभा में इस समय कुल 288 सदस्य हैं जिनमें से 285 सदस्यों ने मतदान किया. शिव सेना के एक सदस्य रमेश लटके की पिछले महीने मृत्यु हो गई थी और एनसीपी के दो विधायक अनिल देशमुख और नवाब मालिक को न्यायिक हिरासत में होने की वजह से मत डालने की अनुमति नहीं मिली.
चुनाव एकल हस्तांतरणीय मतदान पद्धति (सिंगल ट्रांस्फरेबल वोट) से होता है, जिसमें हर मतदाता कई उम्मीदवारों के प्रति अपनी पसंद दिखा सकता है. जो सबसे ज्यादा पसंद हो उसके नाम के आगे एक, उसके बाद दो, फिर तीन इत्यादि लिख सकता है.
फर्स्ट प्रेफरेंस वाले मत हासिल करना
जीतने के लिए उम्मीदवार को एक फॉर्मूला के तहत न्यूनतम पहली पसंद (फर्स्ट प्रेफरेंस) वाले मत हासिल करना जरूरी होता है. अगर यह न्यूनतम संख्या किसी भी उम्मीदवार को नहीं मिले तो मतों का हस्तांतरण होता है. जिसे सबसे कम मत मिले हों वो रेस से बाहर हो जाता है और उसके मतों को बाकी उम्मीदवारों में बांटा जाता है. उसके बाद फिर से तय फॉर्मूले के तहत आवश्यक मत हासिल करने वाले उम्मीदवारों को विजेता घोषित किया जाता है.
कांटे की टक्कर
इन चुनावों में शिव सेना के पास अपने दोनों उम्मीदवारों को जिताने के लिए आवश्यक 52 मत तो थे ही, उसके पास तीन अतिरिक्त मत भी थे. एनसीपी के पास एक मत कम था. कांग्रेस के पास आठ मतों की और बीजेपी के पास 24 मतों की कमी थी.
टक्कर इस कदर कांटे की थी की बीजेपी ने अपने दो बीमार विधायकों को एम्बुलेंस में विधान सभा तक पहुंचाया और फिर उन्हें व्हीलचेयर में सभा के अंदर ले जाया गया. उन्होंने सहायकों के जरिए मतदान किया जिसे कांग्रेस ने चुनाव नियमों का उल्लंघन बताया. लेकिन चुनाव आयोग ने कांग्रेस की आपत्ति को खारिज कर दिया.
बीजेपी ने दावा किया है कि सत्तारूढ़ गठबंधबन के कम से कम 21 विधायकों ने अपने उम्मीदवारों की जगह बीजेपी के उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान किया. इसे एमवीए गठबंधन के लिए खतरे की घंटी माना जा रहा है.
कुछ ही दिन पहले राज्य सभा चुनावों में भी महाराष्ट्र से बीजेपी अपने तीनों उम्मीदवारों को जिताने में सफल रही थी, जबकि शिव सेना का एक उम्मीदवार हार गया था. मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इन दोनों चुनावों में अचूक रणनीति बनाई और उसे सफल भी कराया.
इस बीच मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि शिव सेना के नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री एकनाथ शिंदे पार्टी के कई अन्य विधायकों के साथ गुजरात के एक रिजॉर्ट में चले गए हैं.
अटकलें लग रही हैं कि वो और उनके साथी विधायक पार्टी छोड़ सकते हैं और एमवीए की सरकार गिर सकती है. घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है. देखना होगा एमवीए गठबंधन इस स्थिति से कैसे जूझ पाता है.
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